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टैक्स और मरदाना कमज़ोरी वाला डाक्टर

Dayanand Panday

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दूध , दही पर तो टैक्स लगा ही दिया है मोदी सरकार ने अब मिट्टी , गोबर , प्राकृतिक पानी , हवा , और आसमान , सूरज , चांद आदि-इत्यादि पर भी टैक्स का इंतज़ार है। वेलकम है ! टैक्स पर भी टैक्स का आलम यह है कि आप कोई वाहन खरीदिए तो रोड टैक्स दीजिए। पेट्रोल खरीदिए तो उस पर भी रोड टैक्स। फिर टोल टैक्स भी दीजिए। मतलब नज़राना , शुकराना और जबराना तीनों दीजिए। बिजली का बिल दीजिए तो सर्विस टैक्स। हर किसी बात पर , सर्विस पर टैक्स। टैक्स , टैक्स और टैक्स ही ज़िंदगी बन गई है। इनकम टैक्स , जी एस टी और सुविधा शुल्क यानी रिश्वत जैसी चीज़ें कम पड़ गई थीं। एक नॉनवेज लतीफ़ा याद आता है। माफ़ कीजिए ऐसे हरामीपने के टैक्सों पर गुस्सा उतारने के लिए ऐसे ही लतीफ़ों की दरकार है। बस उसे शालीन बना कर पेश कर रहा हूं।

 

मरदाना कमज़ोरी दूर करने के एक डाक्टर थे। उन की क्लिनिक पर एक बीमार गया। डाक्टर ने उसे तीन पुड़िया दे दिया। क्लिनिक से निकलते ही सामने एक घर दिखा। घर में एक लड़की दिखी। दवा आजमाने के लिए आदमी ने एक पुड़िया निकाली। और लड़की को पटाया। लड़की पट गई। लड़की को निपटा कर घर से निकलना चाहा तो सामने लड़की की नौकरानी पड़ गई। नौकरानी ने कहा , मुझे क्यों छोड़े जा रहे हो। नौकरानी ने कहा कि मेरी बात नहीं सुनोगे तो सब से कह दूंगी। लड़की ने आदमी से कहा , इसे भी देख लो नहीं , बहुत बदनामी होगी। आदमी ने नौकरानी को देखने के लिए फिर एक पुड़िया खा ली। नौकरानी को देखने के बाद घर से निकल ही रहा था कि लड़की की मां सामने आ गई। बोली , मुझ में कौन से कीड़े पड़े हैं। मेरा भी भला कर दो। आदमी ने तीसरी पुड़िया खाई। सब का भला कर वह डाक्टर के पास वापस लौटा। कहा कि कुछ और पुड़िया चाहिए।

 

डाक्टर हैरान हो गया। पूछा इतनी जल्दी तीनों पुड़िया ख़त्म कर दिया ? क्या असर नहीं किया दवा ने ? आदमी बोला , असर तो पूरा कर रही है आप की दवा। तभी तो दुबारा और ख़रीदने आया हूं। डाक्टर बोला , इतनी जल्दी ? आदमी ने बताया दवा ले कर निकला तो आप की क्लिनिक के सामने ही एक घर दिखा। और फिर लड़की , नौकरानी और लड़की की मां का क़िस्सा बता दिया। क़िस्सा सुनते ही डाक्टर ने माथा पीटा। और उस आदमी को एक और पुड़िया देते हुए बोले , अब मैं ही एक बाक़ी रह गया हूं। मुझे भी निपटा दो ! आदमी बोला , क्या कह रहे हैं डाक्टर साहब ! डाक्टर बोला , ठीक कह रह हूं। क्लिनिक के सामने जिस घर में तुम गए थे , वह मेरा ही घर है !

 

अब जनता डाक्टर है या मोदी डाक्टर , अपनी-अपनी सुविधा से तय कर लें। पर हो यही गया है। मंहगाई और टैक्स का आदमी से अटूट रिश्ता , आदमी को तोड़ बहुत रहा है।

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