तमाम होड़, दौड़ और व्यस्तताओं के बीच हमारी पीढ़ी कुछ मूल्यों को आत्मगत रखती थी। आज की पीढ़ी में कितना है, मुझे नहीं पता, वह मेरा विषय भी नहीं। लगभग दो दशकों से अधिक समय से हमारे जैसे नैरेटिव की लड़ाई लड़ रहे हैं, एजेंडा सेटिंग और इंटेलेक्चुअल हेजेमनी का संघर्ष जारी रखे हैं। कुल मिलाकर, कांग्रेसी-सिकुलर (मार्क्स, मैकाले, मिशनरी) गठबंधन का सत्ता पर, इकोसिस्टम पर इतना मजबूत कब्जा दिखता है कि कई बार वीतराग सा हो जाता है।
चीजें आज भी वैसी ही हैं। जैसी अटलजी के समय थी, जैसी 1999 में थी। तब फर्क ये था कि भगवा लोग छिपकर होते थे, शर्मिंदगी का एक भाव रहता था, पिटाई होती थी, अब लोग -लालच, लोभ या सिर्फ फैशन में ही सही-भगवा को लेकर लजाते नहीं है। पर, इकोसिस्टम। उसका क्या करेंगे। सिद्धार्थ साफ-साफ गाली दे रहा है, वह कोई बात नहीं, लेकिन मैंने उसी की बात रिपीट कर दी, तो गाली है। जुबैर, आरफा, राणा जैसे जिहादी पिछले कई वर्षों से हिंदुत्व को गाली दे रहे हैं, मैंने सिर्फ वो थ्रेड शेयर की, जिस पर इनके झूठ चस्पां थे। ब्लॉक हो गया।
कैसा देश बनाया है हमने? हिंदुओं के आराध्य, देवी-देवता सब गाली खाने लायक, उनके नायक, उनकी नायिकाएं, सबको कुछ भी कहा जा सकता है, उसका जब प्रतिकार-प्रतिरोध किया जाए, तो दो दिनों में एक हवाई रिपोर्ट तैयार कर बुल्ली-सुल्ली-दल्ली न जाने किस दुनिया की तिलिस्मी कहानियां सुनाई जाएंगी, लेकिन हिंदू इकोसिस्टम…….।
अस्तु, यह रोने-धोने के लिए नहीं था। ट्विटर-फेसबुक से आना-जाना पुराना है और ऐसा भी नहीं कि इसके बिना दुनिया नहीं चलेगी। यह शेयर किया इसलिए कि ट्विटर के उस थ्रेड पर जरूर जाएं और इनकी हरामजदगी देखें। संभव हो, तो हरेक आदमी उसको शेयर जरूर करें, पिन करें….।
बाकी, तो
सीताराम-सीताराम, सीताराम कहिए,
जाहि विधि राखे राम, ताहि विधि रहिए…..