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देश में 03 प्रकार की विचारधारा है।

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देश में 03 प्रकार की विचारधारा है।
1- संविधानवादी
2- संवैधानिक राष्ट्रवादी
3- सांस्कृतिक राष्ट्रवादी
इसमे से संविधानवादी इस देश के लिये सबसे खतरनाक हैं।
संवैधानिक राष्ट्रवादी और सांस्कृतिक राष्ट्रवादी दोनों में एक बहुत बड़ी समानता यह है की दोनों का यह मानना है की संविधान, समाज के लिये बना है, संविधान, समाज के लिये उत्तरदायी है। न की समाज संविधान के लिये बना है अथवा समाज संविधान के लिये उत्तरदायी है।
दोनों में अन्तर केवल टाईम लाईन का है। संवैधानिक राष्ट्रवादी भारत के निर्माण को सन 1947 (संविधान गठन के समय) से मानते हैं जबकी सांस्कृतिक राष्ट्रवादी इसे अनादि काल (भारतीय/ हिन्दू संस्कृति के प्रस्फुटन से) से राष्ट्र मानते हैं।
जबकी संविधानवादियों के लिये राष्ट्र एक गौण तत्व है और संविधान अर्थात रूलबुक ही सब कुछ है। इस रूलबुक को बनाये रखने के लिये समाज में विद्वेष भी हो जाय तो भी उस विद्वेष की किमत पर यह रूलबुक को स्थापित करना चाहते हैं।
राहुल गांधी ने जो भारत को राज्यों का समूह भर कहा है, वह कांग्रेस का बहुत पुराना स्टैंड है। इसमें कुछ भी नया नहीं है। कुछ लोगों ने कहा है की राहुल गांधी प्रांतवाद को बढ़ावा देने के फिराक में हैं। जबकि ऐसा कुछ भी नहीं है, क्यूंकि कांग्रेस पहले ही यह आग पूरी तरह लगा चुकी है। अब उसमें और ईंधन नहीं बचा है। कांग्रेस और गांधी परिवार अपने आप को देश का निर्माता समझते हैं और यदि वह सांस्कृतिक रूप से भारतीय राष्ट्र की अवधारणा को स्वीकार कर लेते हैं तो उनके पास से यह ठेकेदारी चली जाएगी।
कांग्रेस की मूलभूत सोच यह है की भारत राष्ट्र 1947 में बनाया गया और संविधान उस राष्ट्र की आत्मा है।
भाजपा सांस्कृतिक राष्ट्रवादी है।
भाजपा की मूलभूत सोच यह है की भारत आदिकाल से एक राष्ट्र रहा है और यहां की संस्कृति उस राष्ट्र की आत्मा है।
कांग्रेस को लगता है की यह देश सेक्युलर इसलिये है क्युकी 1950 में एक किताब में इसे सेक्युलर लिख दिया गया।
भाजपा को लगता है की यह देश सेक्युलर इसलिये है क्युकी अनंत काल से यहां की संस्कृति में सबको स्वीकार करने की क्षमता है।
कांग्रेस के लिये भारत गणराज्य और भारत राष्ट्र एक ही है।
जबकी भाजपा के लिये भारत गणराज्य अलग और भारत राष्ट्र अलग है।
डॉ भुपेन्द्र सिंह की पोस्ट, थोड़ी सी सम्पादित…

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