कन्हैयालाल की हत्या के बाद हत्यारों का वीडियो वायरल हो चुका था। लसानी इलाके के शक्ति और प्रह्लाद सिंह के पास इलाके के पुलिसकर्मी बाबूलाल का शाम 5 बजे कॉल आया कि भीलवाड़ा और देवगढ़ मार्ग पर सीसीटीवी ना लगे होने से वो एकदम अलग-थलग है इसलिए आरोपित इस रास्ते से भाग सकते हैं। बाबूलाल ने हत्यारों के बाईक नंबर को भी बताया।
चूँकि हत्यारों के चेहरे वीडियो में दिख ही गए थे इसलिए शक्ति और प्रह्लाद अपनी बाईक लेकर सूरजपुरा बस स्टैंड पहुँच गए और आने-जाने वाले लोगों पर निगाह रखने लगे तभी उन्हें हत्यारे दिख गए और उनकी बाईक का नम्बर 2611 भी दिख गया। पुलिस को फोन किया गया तो पता चला पुलिस थोड़ा दूर है, उधर से पूछा गया कि क्या वो लोग हत्यारों का पीछा कर सकते हैं!
शक्ति सिंह और प्रह्लाद सिंह ने हामी भरी और तुरंत ही पीछे लग गए। अपराधियों के ट्रेस होने की सूचना तब तक पूरे जिले के वायरलेस सिस्टम पर आ गई थी। शक्ति और प्रह्लाद ने जब अपनी बाईक लगभग उनकी बाईक के पास कर दी तो हत्यारे उन्हें धमकाने लगे इसलिये बाईक को उनकी पहुँच से थोड़ा पीछे करके वो दोनों हत्यारों के साथ लगभग बीस किलोमीटर तक चले और पुलिस के साथ कोऑर्डिनेट करते रहे। भीम-व्यावर रोड पर पुलिस तैयार थी और हत्यारे पकड़े गए।
अच्छी कहानियों को आगे बढ़ाते रहिये। समाज के लिए जरूरी है कि शक्ति और प्रह्लाद जैसे लोगों को ‘नायकत्व’ मिले। ये सन्देश आखिरी व्यक्ति तक पहुंचना चाहिए कि ‘सर तन से जुदा’ पर कहानी खत्म नहीं होती उसके बाद एक और बड़ी सजा है जो अपने नागरिकों के अपमान पर ‘भारत का कानून’ देगा।