Home राजनीति नाचने का दस्तूर तो अब बदल गया है , क़ानून की बीन पर ही अब नाचने की इज़ाज़त है

नाचने का दस्तूर तो अब बदल गया है , क़ानून की बीन पर ही अब नाचने की इज़ाज़त है

दयानंद पांडेय

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अरब देशों और इन के दल्ले ओ आई सी ने अपना कठमुल्लापन क्या दिखाया कानपुर के शहर काज़ी सिर पर कफ़न बांधने की हसरत पाल बैठे। कुछ कठमुल्ले ज्ञानवापी की सुनवाई कर चुके बनारस के सिविल जज को धमकी देने लगे। आर एस एस के आफ़िस , स्कूल आदि उड़ाने की धमकी देने लगे। अब देखना दिलचस्प होगा कि जब अवैध निर्माण पर देर-सवेर कानपुर में बुलडोजर चलेगा तब शहर क़ाज़ी किसी चूहे के बिल में छुपे मिलेंगे या सिर पर कफ़न बांधे किसी हवालात में मेहमान बने बैठे होंगे। क्यों कि कानपुर में बुलडोजर तो चलेगा। आज इसी लिए कानपुर की डी एम भी बदल दी गई हैं।
दिलचस्प यह कि अरब देशों के बांग देते ही भारत में भी कई मुर्गे बांग देने लगे हैं। यह मतिमंद मुर्गे नहीं जानते कि इन बांग देने वाले अरब देशों की दवाई शुरु हो गई है। अमरीका के कठपुतली बने इन अरब देशों की हेकड़ी भारत सरकार बस निकालने ही जा रही है। आर्थिक नाकेबंदी और अनाज की नाकेबंदी अरब देशों को चने नहीं लोहे चबवा देगी। तेल का विकल्प रुस मिल चुका है। ज़्यादा सस्ते में। किसी चीज़ को बेचने के लिए बेचने वाला जितना बेक़रार रहता है , ख़रीदने वाला उतना नहीं होता। अगर ख़रीदने वाले के पास विकल्प और भी हों तो बेचने वाला तो अपने बाल नोचने लगता है। भारत एशिया में तेल का सब से बड़ा ख़रीदार है। पर भारत और रुस के पास अनाज का जो भंडार है , ख़ास कर गेहूं का , दुनिया में किसी के पास नहीं है।
जो लोग रेगिस्तान में वृक्षारोपण भी हराम मानते हैं , पौधे नोच कर फेंक देते हैं , नहीं सोचते कि यह कठमुल्ले फिर खाएंगे क्या ? अमरीका के भंडार भी गेहूं से ख़ाली हैं। कुछ हफ्तों का ही स्टॉक रह गया है। तो वह पहले ख़ुद खाएगा कि अरब के कठमुल्लों को खिलाएगा। यूक्रेन और रुस युद्ध के कारण दुनिया परमाणु युद्ध के ढेर पर तो अभी नहीं , भूख के ढेर पर ज़रुर बैठ गई है। अरब के कठमुल्ले इस बात को समझने में चूक कर गए हैं। अमरीका भी। और रही बात भारत के कठमुल्लों की तो यह तो शुरु से ही दिमागी दिवालिएपन के शिकार हैं। 56 मुस्लिम देशों की ताक़त पर इन्हें गुमान बहुत है।
अरब कहे तो ईद मनाएंगे , तो ईद मनाएंगे। नहीं कह दे तो नहीं मनाएंगे। पाकिस्तान क्रिकेट मैच हार जाए तो शोग मनाएंगे। भारत क्रिकेट मैच हार जाए तो जश्न मनाएंगे। जब कूटे जाएंगे तो भाई-चारा और गंगा-जमुनी तहज़ीब की ढाल ले कर खड़े हो जाएंगे। नहीं छत से , ठेले से पत्थर बरसाएंगे। तलवार चलाएंगे। आगजनी और दंगे तो ख़ास शग़ल हैं। फिर आर एस एस पर तोहमत लगाएंगे। लेकिन सी सी कैमरे अब बताने लगे हैं कि दंगाई कौन हैं। आर एस एस वाले या यह कठमुल्ले। फिर जब पकड़े जाएंगे तो बच्चे हैं , नादानी हो गई की बीन बजाएंगे। पहले की सरकारें इन की इस बीन पर नाचने लगती थीं। भारत की जनता ने बीती सरकारों के इन्हीं कारनामो से आजिज आ कर अब अपनी पसंद की सरकारें चुनी हैं। सो अब बीन की धुन कोई हो , क़ानून की बीन पर ही नाचने की इज़ाज़त है। दस्तूर बदल गया है। कठमुल्लों को इस तथ्य को बड़े-बड़े अक्षरों में दर्ज कर ख़ुद-ब-ख़ुद सबक़ याद कर लेना चाहिए। जल्दी ही अरब देश और इन का दल्ला ओ आई सी भी यह सारे सबक़ सीखते दिखेंगे। बिस्मिल्ला हो चुकी है। ख़ुदा ख़ैर करे !

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