पश्चिमी देशों की नई जनरेशन में बोर्न डिप्रेशन पनप रहा है, इसका मुख्य कारण है कल्चर। इनका सिनेमाई कंटेंट बहुत कुछ बयां कर जाता है। डिप्रेशन इतना पीक लेवल पर हो चला है कि पागलपन की हद क्रॉस कर जाते है।
बीते दिन अमेरिका के टेक्सास में उवाल्डे शहर में जबरदस्त फायरिंग हुई, इसमें 21 लोगों की मौत हुई है। दरअसल, फायरिंग करने वाला व्यक्ति 18 साल का स्कूली छात्र है। उसने सबसे पहले अपनी दादी को गोली मारी और उसके बाद स्कूल में अंधाधुंध गोलियां बरसा दी। इस गोलीबारी में 18 छात्र और 3 टीचर मारे गए।
महीने भर पहले भी ऐसी ही घटना हुई थी, उसमें 9-10 लोग मारे गए थे।
मशहूर अमेरिकन लेखक-निर्देशक डेविड फिंचर के टीवी शो माइंड हंटर में साठ-सत्तर के दशक का अमेरिका दिखलाया है जहाँ क्राइम रेट बहुत हाई था और डिप्रेशन व घर का माहौल अपराधी तैयार कर रहा था। अजीबोगरीब किलर सामने आए, साइको…डिप्रेशेड… इस टीवी शो में असल घटनाओं को उठाया गया था।
दुनियाई पटल पर अमेरिका विकसित देश है महाशक्ति में शुमार है। लेकिन वहाँ के नागरिकों के दिमाग ने विकसित होना बंद कर दिया है। अमेरिका की बड़ी बड़ी कंपनियों के महत्वपूर्ण पदों पर गैर-अमेरिकन बैठे है।
देश को विकसित करने में संस्कृति का महत्वपूर्ण योगदान होता है जहाँ संस्कृति का मूल नष्ट हो जाता है, उधर सिर्फ़ विनाश ही विनाश नजर आता है।
अमेरिकन फ़िल्म का डायलॉग था ‘मैं शादी से कोसों दूर रहता हूँ, एन्जॉय ठीक है, शादी से बहुत लफड़े शुरू हो जाते है, बच्चें पालना…बड़ी ज़िम्मेदारियों का बोझ सिर पर खड़ा रहता है। जिंदगी नीरस हो जाती है। अकेले रहो, एन्जॉय करो…दोस्त’
अधिकतर केसेज में महिलाएं बच्चों को पालती नजर आती है और बच्चों में डिप्रेशन इसी रास्ते घुसता चला जाता है। स्टेप फादर और मदर, ब्रदर ब्ला ब्ला….भी वजह बनते है।