पाकिस्तान में मुर्री में बर्फबारी में जो २२ लोग मार गए उसके बारे में यहाँ के मीडियावाले सच्ची खबरें देने से रहे। हर कोई इन मौतों को दुर्भाग्यपूर्ण बताता है, मानों होनी को कौन टाल सकता है टाइप। लेकिन कहानी में बडा ट्विस्ट है, जो ये छुपा रहे हैं। विऑन की यह खबर सच्चाई को बयान कर रही है।
बर्फबारी हुई, भारी बर्फबारी हुई, लेकिन वहाँ के स्थानिकों ने उसमें टूरिस्टों की मदद करने की बजाय उन्हें लूटने का तरीका अपनाया। गाड़ी “टो” करने को हजारों रुपये, होटल में रहना है तो एक रात के पचास हजार पाकिस्तानी रुपए, और तो और, इस विडिओ में एक आदमी बता रहा है कि एक स्पॉट पर यहाँ के लोग बर्फ डाल भी देते हैं कि टूरिस्टों की गाड़ियां फिसल जाए और उन्हें टो करने की जरूरत पड़े तो पैसे ऐंठ सके।
मनमाने रेट मांगने से लोगों ने हॉटेलों में रहना मना कर दिया और अपनी बंद गाड़ियों में रह गए, लेकिन कार्बन डाई ऑक्साइड और कार्बन मोनोक्साइड से सांस घुटकर अंदर अंदर ही मर गए। आर्मी कैम्प नजदीक था लेकिन वो पाकिस्तानी सेना थी, भारतीय सेना थोड़े ही थी जो कृतघ्न कश्मीरियों के लिए भी अपने जान का खतरा उठाए । वे बैठे रहे अपने कैन्ट में अलाव तपते, यहाँ लोग मरते रहे।
अब वहाँ की जनता ने मुर्रीका बहिष्कार करने का निर्णय लिया है। इमरान खान देश का ध्यान भारत मे मुंहजोरीटी पर होते कथित अत्याचार की ओर भटका रहा है।
वैसे यहाँ तो ये मौतों के विडिओ आए तो कुछ लालहरों ने उन्हें भारतीय कश्मीर के भी बताकर वायरल करवाने की कोशिश की थी।
अस्तु, कहना इतना ही है, मुर्री पाकिस्तान में है, वहाँ जानेवाले टूरिस्ट भी पाकिस्तानी इमानवाले ही थे। बाकी आप भैजान की बातें सुनते रहिए मदद करने की किताबी कहानियों की – असलियत आप के सामने हैं।
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और हाँ, वैष्णोदेवी आदि जगह घोड़ेवाले अपने ही क्यों होने चाहिए यह समझ गए ही होंगे ?