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पुतिन ने जब यूक्रेन पर हमला शुरू किया

Vivek Umrao

by Umrao Vivek Samajik Yayavar
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पुतिन ने जब यूक्रेन पर हमला शुरू किया, उसके पहले रूस का तेल 90 डालर प्रति बैरल से अधिक था, आज 70 डालर प्रति बैरल है। एक मिलियन बैरल प्रतिदिन उत्पादन कम हो चुका है, जो निर्यात का लगभग 20% है। अमेरिका दुनिया का सबसे बड़ा तेल उत्पादक देश है, रूस तीसरे नंबर पर आता है। अमेरिका दुनिया का सबसे बड़ा नेचुरल-गैस उत्पादक देश है, रूस दूसरे नंबर पर आता है।
यूरोप आगामी कुछ महीनों में रूस से गैस/तेल आयात 90% तक कम करने जा रहा है। खूब तेल गैस गेहूं बेचकर भी रूस की GDP महज डेढ़ ट्रिलियन (1.5 ट्रिलियन) डालर रहती है। प्रतिबंधों के कारण रूस के अंदर सैकड़ों बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने अपना धंधा बंद कर रखा है। गैस व तेल का निर्यात लगातार घट रहा है, घटता ही रहेगा। जाहिर है कि रूस की GDP औंधे मुंह गिर रही है।
फिर भी ऐसे तथाकथित विशेषज्ञों व स्वयंभू विद्वानों की कमी नहीं जो देश विदेश के अखबारों की कतरनों को ज्ञान का आधार मानते हैं (सैकड़ों पेजों के गंभीर दस्तावेजों को पढ़ना समझना छोड़िए, उन तक पहुंच तक रखने की क्षमता नहीं रखते हैं), जोर-जरबदस्ती से बताते व साबित करते रहते हैं कि रूस की इकोनोमी मजबूत हो रही है। बहुत लोग तो यह बताते रहते हैं कि रूबल मजबूत हो रहा है।
इन लोगों को इतना भी कामनसेंस नहीं कि जापान की मुद्रा तो बहुत कमजोर है फिर दुनिया का सबसे समृद्ध देशों में है। तर्क खूब पेलेंगे लेकिन इतना शऊर तक नहीं होता कि मुद्रा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर काम कैसे करती है, गूगल करके फटाफट कुछ भी टीपटाप कर ज्ञान ठेल देते हैं या अपने ही जैसे किसी तथाकथित विशेषज्ञ की बात को अपने स्वाद व एजेंडे के आधार पर सच मानकर पिल पड़ते हैं।
ये वही लोग हैं जो काला जादू इत्यादि पर विश्वास करते हैं, इनमें से अधिकतर तो ऐसे हैं जो खुद को नास्तिक घोषित किए रहते हैं वह बात अलग है कि इन लोगों को रूस व चीन में दैवीयता व ईश्वरीयता कूट-कूट कर दिखाई देती है, बिना सवाल भक्ति को जीते हैं। इन लोगों की दृष्टि में चीन व रूस ईश्वर के अवतार हैं, जो कुछ भी कर सकते हैं, दुनिया जहान के नियम नहीं लागू होते हैं, ईश्वरीय क्षमताओं से संपन्न हैं। काला जादू करके, जादू की छड़ी घुमाकर कुच्छौ कर सकते हैं।
सबसे मजेदार बात यह है कि इनमें से अधिकतर लोग मोदी-भगत लोगों का उपहास उड़ाते हैं। यूं लगता है कि इन लोगों को अंधभक्ति से समस्या नहीं है, इन लोगों को समस्या यह है कि भगतई करनी है तो सिर्फ लेनिन, स्तालिन, माओ, हिटलर, पुतिन की करो, मोदी की नहीं। मतलब यह है कि अधिक धूर्त अधिक बर्बर की भगतई करो, कम वाले की नहीं, मने भगवान बड़ा वाला होना चाहिए, छोटा वाला नहीं।
इन लोगों की मानसिकता व चरित्र देखकर स्पष्ट लगा करता है कि मोदी-भगत लोग, लेनिन/स्तालिन/माओ/हिटलर/पुतिन इत्यादि के भगत लोगों की तुलना में बहुत-बहुत-बहुत अच्छे हैं। कम हिंसक हैं, कम बर्बर हैं, कम धूर्त हैं, कम झूठे हैं, कम प्रोपागंडाकारी हैं। कम क्या इस तरह के चरित्र में तुलनात्मक रूप से लगभग नगण्य स्तर के होते हैं।

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