Home विषयभारत निर्माण पुराने लोग अक्सर अंग्रेजों के जमाने के किस्से सुनाते हैं…

पुराने लोग अक्सर अंग्रेजों के जमाने के किस्से सुनाते हैं…

by Nitin Tripathi
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पुराने लोग अक्सर अंग्रेजों के जमाने के किस्से सुनाते हैं कि पुल तैयार होने के बाद टेस्टिंग मे उसके नीचे पहले ठेकेदार को बिठाते थे और फिर ऊपर से गाड़ी गुजरती थी। अगर ठेकेदार ने पुल मजबूत नहीं बनाया है तो टेस्टिंग मे ही पुल उसके ऊपर गिर पड़ेगा। इस डर से ठेकेदार मजबूत निर्माण करते थे। कितना सही कितना झूठ था यह तो पता नहीं, पर सुचिता के ऐंगल से यह वाकई सराहनीय लगता है कि यदि आपने दूसरे के लिए कोई चीज निर्मित की है तो उसका ईस्तमाल सबसे पहले आप स्वयं कीजिए।

 

प्राइवेट सेक्टर मे यह काफी कॉमन कान्सेप्ट रहा है कि कंपनियों के सीईओ अपनी कंपनी निर्मित प्रोडक्ट का सबसे पहले स्वयं ईस्तमाल करते आए हैं। अभी हाल ही मे अमेरिका मे टेक्सास आर्मर कंपनी के सीईओ ने यह प्रूव करने के लिए कि उनकी कंपनी के शीशे अभेद्य हैं, अपनी कंपनी निर्मित शीशे की विंदशील्ड कार मे लगवाई, खुद बैठा और फिर बाहर से ak 47 से गोलियों की बौछार कराई। निःसंदेह शीशे अभेद्य थे और आम जन मानस मे संदेश गया कि इस कंपनी के मालिक को अपने प्रोडक्ट पर इतना भरोसा है कि जान की बाजी लगा खुद टेस्टिंग की।

 

भारत मे सरकारी विभाग बदनाम रहे हैं इस मामले मे। सरकारी विद्यालय का अध्यापक अपने बच्चों को प्राइवेट विद्यालय मे पढ़ाएगा, सरकारी डॉक्टर बच्चों का इलाज सरकारी अस्पताल मे नहीं कराएगा, सरकारी करण का समर्थक बाबू खुद जिओ का सिम और ऐपल के फोन का इशतेमाल करेगा। लेकिन अब भारत बदल रहा है।

 

भारतीय रेलवे ने एक्सीडेंट से बचने के लिए नए सिस्टम कवच की खोज की है। इस सिस्टम मे यदि ड्राइवर से गलती हो जाए, वह ब्रेक लगाना भूल जाए, सामने से गाड़ी आ रही हो तो कवच अपने आप ब्रेक लगा कर गाड़ी रोक देगा। आज इस सिस्टम की लाइव टेस्टिंग थी। एक गाड़ी के इंजन मे स्वयं रेलवे मंत्री अश्वनी वैष्णव जी थे तो दूसरी गाड़ी मे रेलवे बोर्ड के चेयर मैन सभी उच्च अधिकारियों के साथ। एक ही ट्रैक पर दो गाड़ियां, गाड़ी का ड्राइवर ब्रेक नहीं लगाएगा। कवच सिस्टम ने अपने आप समय पर गाड़ी रोक गाड़ियों की भिड़ंत बचा ली।

 

रेलवे मंत्री और रेलवे बोर्ड के अधिकारियों का अपने प्रोडक्ट पर इस तरह का विश्वास सराहनीय है। ऐसा ही विश्वास और इस तरह का कार्य यदि सब लोग करें तो वाकई देश का काया कल्प हो जाए।

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