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प्रयागराज विश्वविद्यालय में राजनीती शास्त्र

अमित सिंघल

by अमित सिंघल
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प्रयागराज विश्वविद्यालय में राजनीती शास्त्र के अध्ययन के समय मुझे राज्य या राष्ट्र की उत्पत्ति, सरकार, सम्प्रभुता इत्यादि विषयों को पढ़ने का अवसर मिला।
इसमें में मुझे ग्रीक दार्शनिक प्लेटो के विचारो ने विशेष रूप से प्रभावित किया। प्लेटो का मानना था एक राष्ट्र का नेतृत्व ‘दार्शनिक राजा’ (philosopher king) को करना चाहिए।
‘दार्शनिक राजा’ एक ऐसा शासक होता है, जिसके पास ज्ञान के साथ बुद्धि एवं विश्वसनीयता हो, और जो सरल जीवन जीता है। दार्शनिक राजा नैतिक और बौद्धिक दोनों रूप से शासन के अनुकूल हैं। क्योकि वह लालच और वासना से मुक्त हैं और उसे सत्य और यथार्थ की समझ है।
लेकिन ‘दार्शनिक राजा’ को सत्य और यथार्थ की समझ केवल शिक्षा से नहीं आती है।
प्लेटो के अनुसार शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात वह छात्र अगले 15 वर्ष तक एक योगी की तरह भ्रमण करता रहेगा। इस कठोर साधना के पश्चात उस व्यक्ति का कोई निजी परिवार नहीं रहेगा। उसे निजी लाभ का कोई लोभ नहीं रहेगा। राज्य (राष्ट्र) ही उसका परिवार बन जाएगा।
शिक्षा और भ्रमण के पश्चात उसे जो ज्ञान, अंतर्दृष्टि और अनुभव मिलेगा, वह उस व्यक्ति को एक आदर्श शासक बनाती है, जिसे प्लेटो ने ‘दार्शनिक राजा’ कहा।
इस समय भारत में दो ‘दार्शनिक राजा’ शासन कर रहे है।
राष्ट्र का नेतृत्व दार्शनिक राजा नरेंद्र मोदी कर रहे है।
और भारत गणराज्य के प्रान्त उत्तर प्रदेश का नेतृत्व ‘दार्शनिक महाराज’ योगी जी कर रहे है।
विश्व में कदाचित ही ऐसा काल मिले जब एक राष्ट्र का नेतृत्व दो दार्शनिक राजाओ के पास हो।
हम ही उनके परिवार है।
परिवार के मुखिया पर विश्वास बनाए रखे।
भारत की धरती पे पले-बड़े, शिक्षा-दीक्षा प्राप्त किये, एक कर्मयोगी का जीवन व्यतीत करने वाले दो ‘दार्शनिक नरेशों’ को अपनी “भिक्षा” देना ना भूले।
क्योकि इसी “भिक्षा” के भरोसे ही वे दार्शनिक राजा बने रह सकते है

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