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फ्रांस के राष्ट्रपति, एमानुएल माक्रों

अमित सिंघल

by अमित सिंघल
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फ्रांस के राष्ट्रपति, एमानुएल माक्रों, ने पिछले माह एक इंटरव्यू में धर्मनिरपेक्षता के बारे में अपनी राय रखी।
माक्रों ने कहा कि समाज में ऐसे पुरुष एवं महिलाएं है, जो एक धर्म के नाम पर, राष्ट्र के विरोध में अपनी भावनाओ के आधार पर, अपने बच्चो को सिखा रहे है कि फ्रांस से घृणा करो। और उन बच्चो का भविष्य रूढ़िवाद (obscurantism) के प्रोजेक्ट में निकल जाएगा जिसे हम लोग समय-समय पर कट्टरपंथी इस्लाम (Islam radical) भी कहते है।
आतंकवाद से लड़ना एक अलग चीज़ है, यह मैं मानता हूँ। लेकिन एक (कट्टरपंथी इस्लाम) चीज़ दूसरे (आतंकवाद) की ओर ले जा सकती है; उसका पोषण कर सकती है; कुछ मामले में एक अस्पष्ट सी स्थिति बनाई जा सकती है।
हमने इससे निपटने के लिए कई एक्शन लिए है जिसका हम बलपूर्वक प्रयोग कर रहे है।
(हाथ से इशारा करते हुए, प्रथम), उन संगठनों को नियंत्रित करना जो ऐसा कार्य करते है। हमने अब तक हज़ार ऐसी संस्थाओ को नियंत्रित किया है और सैकड़ो को बंद कर दिया है। कई मस्जिदों को नियंत्रित किया है; अभूतपूर्व तरीके से कई को बंद कर दिया। यह सुनिश्चित किया गया कि ऐसे (मदरसा संचालित) विद्यालय राष्ट्र के कानूनों का सम्मान करे; और मैं स्पष्ट रूप से कहना चाहता हूँ कि ऐसे कई विद्यालयों को हमने बंद कर दिया है, जबकि पहले हमारे कानून ऐसे विद्यालयों को बंद करने की अनुमति नहीं देते थे।
हमें क्या करना चाहिए? हमें मानसिकता बदलनी होगी। अतः यह एक सांस्कृतिक, हमारी सभ्यता की लड़ाई है। इसके लिए हमें ऐसे लोगो को पकड़ना होगा … मेरे पास अन्य शब्द नहीं है … ऐसे लोग जो लोगो को मारने का संदेश देते है, जो राष्ट्र को कमजोर कर रहे है। अतः हमें ऐसे लोगो को कन्विंस करना होगा कि उनका भविष्य फ्रांस में हैं, कि राष्ट्र से घृणा नहीं करना है। राष्ट्र उनके लिए वह सभी करने को तैयार है जो उन्हें शिक्षित करे, उनका उत्थान करे, उन्हें रोजगार दे, उन्हें गरिमा प्रदान करे।
हमें हर कीमत पर इस विभाजन के प्रोजेक्ट, अलगाववाद के प्रोजेक्ट को इस्लाम के मिश्रण से अलग करना होगा।
क्योकि लाखो ऐसे नागरिक है जो शांति कहते है, जो राष्ट्र से प्रेम करते है, जो राष्ट्र के कानूनों का सम्मान करते है, जो एक धर्म को मानते है जो इस्लाम है। अतः हमें उनका सम्मान करना होगा जिससे वे गरिमापूर्ण एवं शांतिपूर्ण जीवन समाज में व्यतीत कर सके।
और यह सब वही है जिसे हम धर्मनिरपेक्षता कहते है।
यही धर्मनिरपेक्षता है।

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