Home अमित सिंघल बरगद का पेड़ और भाजपा.

बरगद का पेड़ और भाजपा.

अमित सिंघल

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1980 के दशक में प्रयागराज विश्वविद्यालय में राजनीति शास्त्र में MA की पढ़ाई करते समय किसी लेक्चर में सुना था कि कांग्रेस पार्टी एक बरगद के पेड़ की तरह है. जैसे बरगद का पेड़ अपने नीचे किसी अन्य पेड़ को जमने नहीं देता तथा इसकी जड़ें आसपास के क्षेत्र पे भी कब्जा कर लेती हैं, वैसे ही कांग्रेस पार्टी के सानिध्य में कोई अन्य पार्टी जम नहीं पाती. बरगद के पेड़ की तरह कांग्रेस पार्टी उन अन्य छोटी-छोटी पार्टियों पे भी कब्ज़ा कर लेती है. इसी बरगद के पेड़ पर कई प्रकार के पक्षी, सांप, गिलहरी तथा उल्लू भी डेरा जमा लेते हैं. बरगद उन्हें फलने-फूलने देता है.
हार्दिक पटेल के भाजपा ज्वाइन करने पर उठे बवंडर को देखकर वहीं लेक्चर याद आ गया. भाजपा ने इस बात को समझ लिया था कि बिना कांग्रेस रुपी बरगद के पेड़ की जड़े काटे हुए उसको जमने का अवसर नहीं मिलेगा.
तभी प्रधानमंत्री मोदी कांग्रेस मुक्त भारत की बात करते हैं. अब जब कांग्रेस की जड़े काट दी गई है और उसकी सिर्फ “राजसी ठूठ” ही बची है, तब भाजपा के वृक्ष ने अपनी जड़ें फैलाना शुरू कर दिया है.
अब अगर जड़ें गहरी होंगी, तो वृक्ष की शाखाएं भी बढ़ेगी, फूल-पत्तियों से पेड़ लबालब रहेगा. और जब इतनी सारी पत्तियां और मोटी मोटी शाखाएं होंगी, तो उस पर गिलहरी, पक्षी, सांप, छछूंदर इत्यादि भी डेरा डालेंगे. नहीं तो वे फिर कहां जाएंगे.
हम लोग बरगद के पेड़ के नीचे चबूतरा बनाकर प्रभु श्री राम और हनुमान जी की भी स्थापना कर देते हैं. बरगद का पेड़ उनकी भी आराधना करता है और हमें भी करने देता है.
प्रकृति में हर जीव और प्राणी का संतुलन बना हुआ है. अगर उल्लू है, छछूंदर है तो उनके लिए बरगद का पेड़ भी है. अगर हार्दिक पटेल हैं तो उनके लिए अब भाजपा भी है.
बरगद के पेड़ पर चाहे कितने ही प्राणियों का निवास हो जाए वे कभी भी अपना चरित्र नहीं बदलते. यही आशा मुझे भाजपा रुपी बरगद के पेड़ से भी है क़ि वह प्रभु श्री राम, श्री कृष्ण एवं भोलेनाथ की आराधना के मार्ग पे अडिग रहेंगे.
न्यूयॉर्क में एक कहावत बार-बार सुनने को मिलती है.
कोई व्यक्ति बाहर खड़ा होकर आपके टेंट पर मूते, यह अच्छी बात नहीं है. उस व्यक्ति को टेंट के अंदर बुला लीजिए जिससे वह बाहर की तरफ मूते.
अब हार्दिक की “धार” कांग्रेसियों, नक्सलियों, और टिकैत पर गिरेगी.
इसका स्वागत होना चाहिए.

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