Home राजनीति बाइसकिल इस बाइस में अखिलेश यादव ने ख़ुद ही बरबाद की है

बाइसकिल इस बाइस में अखिलेश यादव ने ख़ुद ही बरबाद की है

दयानंद पांडेय

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अपनी बाइसकिल इस बाइस में अखिलेश यादव आप ने ख़ुद ही बरबाद की है। किसी और ने नहीं। यह वीडियो बीते मार्च , 2017 का है। तब तक यह टीपू से टोटी तक की प्रगति से वंचित थे। यह प्रगति बाद में होते-होते बौखलेश तक पहुंची है , बाइसकिल बाबू। बहरहाल 2017 में अपनी पराजय के बाद अपने अवसाद का वाचन करते हुए अखिलेश यादव पूछ रहे हैं कि हमारी रैलियों में जो तमाम लोग आते थे क्या देखने के लिए आते थे। मोबाईल ले कर आते थे। क्या करने आते थे। तब नेता जी यानी अपने पिता मुलायम का अपमान आप के गले का पत्थर बना था। यह पत्थर अभी भी आप के गले से उतरा नहीं है। बल्कि कई और पत्थर गले में बांध लिए हैं।
अब बौखलेश को कौन बताए कि कई बार लोग सभाओं में हेलीकाप्टर भी देखने आते हैं। बस या कार देखने भी। बहुत से लोग पैसा दे कर भी बस भर-भर कर लाए जाते हैं। पर रैली में आए सभी लोग वोटर में कनवर्ट नहीं होते। वोट नहीं देते। आज तक भीड़ कभी किसी की नहीं हुई। सोशल मीडिया कभी किसी का नहीं होता। एक बार पाकिस्तान के जनरल मुशर्रफ़ ऐसे ही गच्चा खा गए थे। पाकिस्तान से भाग कर लंदन में अच्छी-ख़ासी ज़िंदगी बसर कर रहे थे।
पर बुरा हो फ़ेसबुक का। पांच लाख पाकिस्तानी फालोवर थे उन के फ़ेसबुक पर। फ़ेसबुक के साथियों से मुशर्रफ ने पूछा , पाकिस्तान आऊं तो आप लोग मेरे साथ खड़े होंगे ? मेरा साथ दोगे ? सब ने हां , कह दिया। पाकिस्तान आ गए मुशर्रफ़। एयरपोर्ट पर ही धर लिए गए। फ़ेसबुक का एक आदमी साथ नहीं आया। तो रैली और रोड शो में बुलाए गए भाड़े के टट्टू वोटर नहीं होते। सिर्फ़ भीड़ होते हैं। कम लोगों में मोदी जैसा हुनर होता है कि इस भीड़ को अपना वोटर भी बना लें।
अखिलेश यादव इस बार 2022 में भी चुनाव परिणाम के बाद इसी तरह पूछेंगे कि इतने सारे लोग मेरी बस यात्रा में आते थे , इतने सारे यू ट्यूबर हमारी हवा बताते थे। मीडिया के लोग , सोशल मीडिया के लोग मेरी वापसी की मुनादी करते थे। क्या सब झूठ था ? वह एक गाना याद आता है गुज़ारिश फिल्म का कि के तेरा ज़िक्र है या इत्र है ! तो टोटी बाबू यह सब इत्र का कमाल था , कुछ और नहीं। पैसा फेंक कर आप तमाशा तो देख सकते हैं। चमचों और चाटुकारों की फ़ौज तो खड़ी कर सकते हैं। पर जनता का दिल नहीं जीत सकते। सिर्फ़ यादवगिरी और मुस्लिम तुष्टिकरण के बूते चुनाव नहीं जीत सकते।
यादव और मुस्लिम भी मनुष्य होते हैं। क़ानून के राज में भयमुक्त हो कर जीने का उन का भी मन करता है। शोशेबाज़ी दो-चार दिन की होती है। रोज-रोज की नहीं। जब सब जगह जब आप ही फीता काटे थे तो 2017 में विदा ही क्यों हुए ? लेकिन यह कह-कह कर आप राहुल गांधी की तरह लतीफ़ा बन गए। आप के किसी यू ट्यूबर ने बताई यह बात ? चाटुकार लोग सच बात किसी भी को नहीं बताते। दो-चार सही और सच बोलने वालों को भी अपने दरबार में भर्ती कीजिए। नहीं , अनुराग भदौरिया जैसे सनकी और ख़ब्ती लोगों के बूते आप अपनी पैरवी करवाएंगे तो परिणाम यही होगा। इस बार भी आप इसी तरह सवाल पूछेंगे। पेड न्यूज़ वाले आप की फिर भी कोर्निश बजाएंगे। अब्बास अंसारी जैसों का हिसाब तो सरकार करेगी ही। आप का हिसाब जनता आगे और करेगी। मुझे फिर से दुहरा कर कहने दीजिए कि अपनी बाइसकिल इस बाइस में अखिलेश यादव आप ने ख़ुद ही बरबाद की है। किसी और ने नहीं।

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