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बिहार के समस्तीपुर में एक ही ब्राह्मण परिवार के 5 लोगों ने फाँसी लगाई

मधुलिका शची

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बिहार के समस्तीपुर में एक ही ब्राह्मण परिवार के 5 लोगों ने फाँसी लगा लिया….! गरीबी जनित कर्ज से परेशान होकर,
लोगों का कहना है कि फ़ोटो मत लगाइए देखा नहीं जा रहा…?
भई क्यों नहीं देखा जा रहा है..?
यदि आप सुख ठाठ बाट देख सकते हो तो ये क्यों नहीं..?
देखिये ये भारत की नंगी सच्चाई है और इसे बिना किसी चश्मे के देखो..!
यह देखना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि अप्रत्यक्ष तौर पर हमने उस पूरे परिवार की हत्या की है । हम कभी अपने पड़ोसी की तरफ झांकते भी नहीं कि वो किस हाल में है..!
यह नंगा सच इसलिए भी देखो कि जो लोग कर्जा देते हैं वो माँगते वक़्त देखें कि व्यक्ति यदि देने में अक्षम है तो उसके लिए व्यक्तिगत तौर पर नौकरी की बात लोगों से करते रहें लेकिन बोलेंगे पैसा भी हम दें और जुगाड़ करने का मार्ग भी हम दिखाएं…
यह नंगा सच इसलिए भी देखना जरूरी है कि सरकार देखे समझे और बताये कि गरीबी की जाति क्या होती है..?गरीबी से बड़ा शाप कुछ नहीं होता है।
मुझे याद है एक गांव के पास की साइट पर हम लोग थे जहां एक काका से हम लोग कुछ ज्यादा ही जुड़ गए और एक दिन मैं उनसे बोली कि काका घर में क्या बना है ..? कुछ खिलाओगे..?
तब वो बोले.. हाँ बिटिया चलो सभी कोई,
बहुत ही प्रेसर उन्होंने दिया तो हम तीन लोग वहां गए।
जाने पर दिखा कि घर जो था वो छप्पर का था जिसकी पूरी लंबाई चौड़ाई शायद 20 _ 25 थी, घर कच्चा था और जर्जर स्थिति में था।
अंदर उनकी पत्नी शर्माते हुए कह रही थी जिसे मैं सुन लेती हूँ कि अरे सरसो का साग है , यही खिलाओगे.?
मैं जोर से बोली ; हाँ यही खाएंगे..!
थोड़ी देर बाद सरसो का साग और गेहूं की रोटी आयी।
सच कहूं तो पूरे जीवन में आजतक मैं इतना स्वादिष्ट भोजन कभी नहीं खाई हूँ, मैं अपनी मम्मी से एक बार यही सब्जी बनाने को बोली थी पर मम्मी वैसा नहीं बना पाई…..जैसे उन आँटी ने बनाया था।
एक छोटे बच्चे को जब पैसे देने लगी तो वो रोकने लगे ।
मुझे पता था जो गरीब होते हैं उनमें स्वाभिमान कूट कूट कर भरा होता है वो कदापि पैसे नहीं लेंगे…..इसीलिए बच्चे को दे रही थी…
वापस चलते वक़्त हम लोगों ने मुखिया से कहा : इनके हिस्से में क्या सरकारी आवास नहीं आता क्या..? देखिये जो हो सके करिये।
हम लोगों को पता चल चुका था कि प्रधान जी ने लैट्रिन उन् लोगों को भी अलॉट किया है जो सक्षम हैं पर उस परिवार को देने की उन्हें जरूरत नहीं सूझी।
समाज में कुछ नंगा सच है जो आपको सुनना , देखना अच्छा नहीं लगता पर उसे ढकना उचित नहीं..
सुन रही बिहार में जातिगत जनगणना होने जा रही तो नीतीश महोदय एक बार गरीबी गणना भी करवा लीजिये….!
कुछ दिन पहले UPSC का रिजल्ट निकला जिसमें चयनित उम्मीदवारों की जाति खोजी जाने लगी….
पर गरीबी की जाति की अभी तक खोज नहीं हो पाई है , खोजना ही क्यों, क्या फर्क पड़ता है..?
मैं सुनती आ रही हूँ कि गांव में अब कोई भूखा नहीं मरता लेकिन न जाने क्या विवशता थी जो छोटे छोटे बच्चों को फाँसी लगाना पड़ा,
खैर कागज़ में तो सभी मृतक ब्राह्मण जाति के हैं मगर गरीबी की जाति क्या होती है यह आप पता कर लो…..

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