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बीस्ट ‘रॉ’

by ओम लवानिया
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बीस्ट ‘रॉ’

एक हॉलीवुड फ़िल्म का दमदार पँच है मुझे बेहद अच्छा लगता है। डेथ रेसलिंग सीक्वेंस में गुलाम जेट ली को ले जाया जाता है। रेसलिंग ऑर्गेनाइजर जेट ली के मालिक को कहता है सर आप बैठिए, ठंडा गर्म मंगवाता हूँ।
तब मालिक कहता है मेरे पास इतना समय नहीं है। हम रुकेंगे नहीं, डैनी जा खत्म कर दे। जेट ली यानी डैनी जाता है। साढ़े छह फीट के रेसलर को दो घूंसे में दुनिया छुड़वा देता है। रेसलिंग ऑर्गेनाइजर और दर्शक हक्के-बक्के रह जाते है।’
दरअसल, इस डायलॉग का जिक्र करने का मौका लेखक निर्देशक नेल्सन ने दिया है। तमिल मेगास्टार विजय जोसेफ़ को नेल्सन ने कहानी व किरदार दिया है। उसे देखकर डायलॉगबाजी निकल गई।
लेखक नेल्सन की कहानी आतंकवाद के इर्दगिर्द किरदार पकड़ती है। इसकी थीम होस्टेज पर लिखी गई। इस सिचुएशन को संभालने के लिए कहानी रॉ एजेंट वीरा राघवन को बुलाती है। वीरा भी ‘बुलाती है मगर जाने का नहीं, डायलॉग को नजरअंदाज करके’ दौड़े चले आते है।
नेल्सन ने अपनी कहानी को जो स्क्रीन प्ले दिया है न! बिल्कुल उस डायलॉग की भांति है। विजय आएंगे और बुलेट से गर्दा उड़ा देंगे। न कॉमिक भाव है न इमोशन, न होस्टेज माहौल….सपाट एक्शन…विजय डाई हार्ड फैन और पबजी मित्रगण उछल पड़ेंगे। क्योंकि गोलीबारी उनके ही पसंदीदा अंदाज में हो रही है।
वैसे कहानी ने दूसरा हाफ तो मांगा ही न था। लेखक साब दरियादिल थे। जबरन दे गए।
पूरा का पूरा का खेला सलमान के फैन वीरा राघवन का है रे बाबा….एक बार जो कॉमिन्टमेंट कर दी न, फिर किसी की नहीं सुनता भले दर्शक कितना भी चीख़ें और चिल्लाएं।
लेखक व निर्देशक चाहते ही न थे। दर्शक कनेक्ट हो। उन्हें सिर्फ विजय के फैंस व पबजी वालों को एड्रेस करना था। ये कम्युनिटी यक़ीनन जुड़ी होगी और फेविकोल के जोड़ से जुड़ी होगी। एक दो बार में तो यह गठबंधन टूटेगा न।
विजय जोसेफ़! ठेठ साउथ के टिपिकल स्टाइल में धांसू एंट्री और फुल टशन के साथ वीरा राघवन से मिले है। इन्हें देखकर इनके प्रशंसक दो-तीन बार नज़दीकी सिनेमाघरों में लौटेंगे। रजनी अन्ना से दो कदम ऊपर निकल गए है। वन मैन आर्मी शो है। किसी दूसरे कलाकार की कोई जरूरत न थी। लेकिन माहौल बनाने के वास्ते कुछ कलाकार चाहिए।
पूजा हेगड़े खूबसूरत नजर आ रही है। योगी बाबू से उम्मीदें थी। परन्तु उन्हें किरदार ही ठंग से न मिला। बाक़ी सब के पल्ले ज्यादा कुछ न था।
लेखक-निर्देशक नेल्सन ने विजय से कहा है ज्यादा सोचो मत…वीकेंड से ज्यादा न रुकेंगे। इतना वक़्त कहाँ है। इसलिए भैया वीकेंड भर का शोर है और दायरा भी तमिल की सीमाओं तक रहना है। निर्माताओं ने पैन इंडिया आकर पैर पर कुल्हाड़ी मार ली है। कंटेंट की रेंज ही नहीं है।
बुलाती है मगर जाने का नहीं…बुलाती है मगर जाने का नहीं….☺️ ट्विटर पर फ्लॉप का हैश टैग चल रहा है।

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