Home राजनीति ब्रिटेन में ऋषि सुनक के प्रधानमंत्री पद की दावेदारी से भारतीय लोगो में भिन्न भिन्न प्रतिक्रिया

ब्रिटेन में ऋषि सुनक के प्रधानमंत्री पद की दावेदारी से भारतीय लोगो में भिन्न भिन्न प्रतिक्रिया

Rajeev Mishra

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ऋषि सुनक के प्रधानमंत्री बनने की संभावनाओं पर भारतीय समुदाय की बहुत मिश्रित प्रतिक्रिया है. किसी को एक भारतीय मूल के प्रधानमंत्री का गर्व है, और किसी को यह शंका है कि ऋषि भारतीय होते हुए भी भारत के हितों के विरुद्ध ही काम करेगा.
भारतीय मूल के ब्रिटिश प्रधानमंत्री पर बहुत खुश होने की कोई बात नहीं है. ऋषि प्रधानमंत्री बनकर भी अपनी विदेश नीति को अपनी मर्जी से चलाने के लिए स्वतंत्र नहीं होंगे. प्रधानमंत्री के पद पर बैठा व्यक्ति हमेशा ब्रिटेन के हितों के प्रति ही लॉयल होगा ना कि अपने भारतीय सेंटीमेंट्स के लिए. इसलिए यह अपेक्षा बिल्कुल व्यर्थ है कि वे भारत के लिए अलग से कुछ करेंगे.
दूसरी तरफ, ऋषि कोई बॉबी जिंदल या कमला हैरिस नहीं हैं. वे एक प्रैक्टिसिंग हिंदू हैं और जिंदल या हैरिस की तरह क्रिप्टो और हिंदू विरोधी नहीं हैं. तो यह भय भी व्यर्थ है कि भारतीय मूल का ब्रिटिश प्रधानमंत्री भारत विरोधी होगा. ऋषि के माता पिता पूर्वी अफ्रीका से आए हुए परिवारों से हैं और उन प्रवासी भारतीयों में सामान्यतः हिंदू संस्कार बचे हुए होते हैं क्योंकि उनपर भारत की सेक्युलर शिक्षा का कोई प्रभाव नहीं होता है.
ऋषि की सबसे अच्छी बात है उनकी इकोनॉमिक पॉलिसी. वे पॉलिटिकली प्रागमैटिक हैं, और उन्होंने कोविड के दौरान सामान्य जनता को काफी राहत दी है. लेकिन साथ ही वे अपनी आर्थिक नीतियों में मूलतः थैचराइट हैं और मुक्त व्यापार और कम टैक्सेशन के समर्थक हैं.
पर ऋषि की जो सबसे कमजोर नस है वह है उनकी महत्वाकांक्षा. एक नाजुक समय में उन्होंने प्रधानमंत्री बोरिस जॉन्सन का साथ छोड़ दिया, और अब जब वे प्रधानमंत्री बनने की दौड़ में कूद गए हैं तो यह दिख रहा है कि ऋषि ने खुद प्रधानमंत्री बनने के लिए अपने नेता और साथी को बस के नीचे धकेल दिया है. यह एक बड़ी पॉलिटिकल क्राइसिस की शुरुआत है. बोरिस के हटने से टोरी पार्टी भीतर से विभाजित है और ऋषि अगर प्रधानमंत्री बने तो भी उन्हें अपने सभी सांसदों का पूरा समर्थन नहीं मिलेगा. भारत के विपरीत यहां हर सांसद अपनी मर्जी से वोटिंग करने के लिए स्वतंत्र होता है. तो ऐसे में अगर ऋषि प्रधानमंत्री बनते भी हैं तो उनके लिए सरकार चलाना आसान नहीं होगा. और अगर प्रधानमंत्री नहीं बन पाते हैं तो वे हारे हुए दिखाई देते हैं. तो ऐसे में ब्रिटेन के एक प्रॉमिसिंग हिंदू पॉलिटीशियन का करियर एक निराशाजनक अंत की ओर बढ़ रहा है.
मुझे ऋषि एक पॉलिटिशियन के रूप में बहुत पसंद हैं. लेकिन मुझे उनके इस कदम से बहुत निराशा हुई है. उन्होंने एक गलत समय पर एक महत्वाकांक्षी और लालच भरा निर्णय लेकर यह दिखा दिया है कि वे एक पॉलिटिशियन तो हैं लेकिन एक लीडर नहीं हैं.

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