भाजपा की भी वही प्राथमिकताएं हैं जो कांग्रेस की हैं , जो किसी भी पार्टी की हैं । सारा झगड़ा बस कुर्सी का है। चरित्र सभी का एक ही है । भाजपा भी मंहगाई , बेरोजगारी , भ्रष्टाचार के साथ-साथ मुस्लिम तुष्टिकरण करती है। आरक्षण की खीर खिला कर छाती फुला कर जातीय जहर की राजनीति करती है। झांसा कांग्रेस भी देती है , भाजपा भी देती है । बल्कि कहिए कि सारी राजनीतिक पार्टियां एक सी हैं । छल-कपट और बदबू से भरी हुई । किसी एक का भी चरित्र अलग नहीं है । सत्ता पाने और बचाने के लिए सभी चरित्रहीन बन जाती हैं । लेकिन बताती अपने को सती सावित्री ही हैं । गाल बजाने और जनता को छलने में कोई एक पार्टी पीछे हो तो कृपया बताएं । जैसे कांग्रेस कहती थी गरीबी हटाओ , आज तक नहीं हटी । भाजपा के अच्छे दिन का भी यही हाल है । पार्टी विथ डिफ़रेंस भी महज धोखा है ।
जातीय राजनीति के मामले में बस एक फर्क ज़रूर है कि बसपा , सपा नमक में दाल खाती हैं और कांग्रेस , भाजपा दाल में नमक । कहीं से भी उठा कर देखिए तो मुजरिम बस जनता है । लेकिन सभी राजनीतिक पार्टियां कातिल और मुंसिफ दोनों हैं । इन की नूरा कुश्ती चलती रहती है और जनता सचमुच में लड़ती रहती है । छल-कपट की मारी यह राजनीतिक पार्टियां बिल्लियों को रोटी बांटने में एक्सपर्ट बन कर बंदर के मानिंद हैं । आप कहेंगे कि वामपंथियों की बात नहीं की ।