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भारतीय सेना भर्ती : टेरिटोरियल आर्मी

Nitin Tripathi

by Nitin Tripathi
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भारतीय सेना की एक विंग है टेरिटोरियल आर्मी. यदि आपका सपना भारतीय सेना join करने का रहा हो, आप चूँक गए हों, अब व्यवसाय / कार्यरत हों तो भी 18-42 वर्ष की आयु के बीच TA join कर सकते हैं. ट्रेनिंग होगी. इसके पश्चात जब ज़रूरत होगी तब आपको बुलाया जाएगा. साल में ऐसे भी मिनिमम कुछ हफ़्तों के लिए बुलाया जाता रहेगा. आप अपने स्तर के अनुरूप सेना में अफ़सर से जवान तक किसी भी रूप में join कर सकते हैं. जब आप कार्यरत होंगे तो आपको आपकी रैंक के अनुरूप तनख़्वाह भी मिलेगी.
एक समय मैं बहुत उत्साहित था TA join करने के लिए. idea था कि वर्दी मिल जाएगी, वर्दी का अपना अलग ही चार्म है. गन के लाइसेंस में आसानी रहेगी. कैंटीन सुविधाएँ रहेंगी. साल में दो तीन सप्ताह जो मिनिमम है वह मेरे लिए वेकेशन जैसा रहेगा, मस्त जंगल में कैम्पिंग कर रहे हैं, हथियारों का शौक़ है तो ट्रेनिंग भी होती रहेगी. मैंने अपनी कम्पनी के मैनेजर जो रिटायर्ड सेना अफ़सर थे उनसे फ़ॉलो अप करने को कहा. वह, उनके मित्र यहाँ तक कि लखनऊ में बड़े अफ़सर सब मुझे समझाने में लग गए कि TA मेरे लिए नहीं है. ग़ुस्सा तो मुझे बहुत आ रही थी, पर बाद में ठंडे दिमाग़ से उनके बिंदु समझ आए. भारतीय सेना प्रोफ़ेसनल संगठन है. वर्दी पहन ली तो आप आजीवन उस वर्दी के ग़ुलाम हैं. अनुशासन, आज्ञा का पालन और सदैव अल्प नोटिस में तैयार रहना प्रथम शर्त है. मौज मस्ती, तफ़री, आर्म ट्रेनिंग आदि के लिए सेना में कोई जगह नहीं है, इस उद्देश्य हेतु न ही जाएँ. शेष उनका सिलेक्शन प्रॉसेस भी ऐसा है कि वह छाँट लेते हैं उन्हें क्या चाहिए.
अभी भारतीय सेना में अग्नि वीर स्कीम आरम्भ की है. शानदार स्कीम है. 17-21 वर्ष के युवा सेना join करें. चार वर्ष की नौकरी है. उसके पश्चात फ़्री. सेना को फ़ायदा यह कि अभी उसका आधे से ज़्यादा बजट केवल तनख़्वाह और पेंशन में जाता है. इन्हें न तनख़्वाह देनी है और सेलरी भी पाँच साल के बाद दुगुनी हो जाती है, तब तक यह रिटायर. साथ ही सेना को यंग ब्लड लगातार मिलता रहेगा. युद्ध के समय एक बड़ी सेना बैकप में रहेगी ज़रूरत पड़ने पर गाँव गाँव में दसियों लोग तैयार हैं.
भारत के युवाओं का फ़ायदा यह प्रथम तो यह कि वेकन्सी कई गुना बढ़ जाएँगी. बारहवीं पास कर join कर लिया, 22-23 साल में रिटायर हुवे, एक अच्छे नागरिक, एक स्वस्थ नागरिक बन दस पंद्रह लाख रुपए नगद के साथ. सेना से निकले हैं कहीं भी जॉब मिल जाएगी, आयु ज़्यादा नहीं है आगे पढ़ाई भी करनी हो पैसे हैं पढ़ाई भी हो जाएगी, कुछ नहीं भी करना है तो सेना ने जो अनुशासन, कर्तव्य निष्ठा, मेहनत करना, स्वस्थ के प्रति सजग रहना सिखाया है सदैव काम आएगा.
निहसंदेह ऐसी शानदार योजना की तारीफ़ / आलोचना भी हो रही है. कई लोगों का मानना है कि बड़ी अच्छी योजना है, इससे ढेर सारे हिंदू वीर तैयार होंगे. तो वहीं कुछ लोगों का मानना है कि सारे पत्थर बाज सेना में चले जाएँगे और लौट कर आकर दंगे फैलाएँगे.
हक़ीक़त में इन दोनों में कुछ नहीं होना. भारतीय सेना बहुत ज़्यादा प्रोफेशनल संगठन है. अपवाद छोड़ दिए जाएँ तो सेना से निकल आप किसी बिडले को ही बंदूक़ लिए डकैती चोरी दंगा फ़साद करते पाएँगे. अगर चार साल भारतीय सेना में काम करने के पश्चात भी आप यह सीखें कि बाहर निकल दंगे फैलाने हैं तो इसमें आपको नहीं, भारतीय सेना को सोंचने की ज़रूरत है उनसे क्या गलती हो रही है. प्रायः ज़मीन पर दंगे फैलाने वाले, पत्थर फेंकने वाले वही होते हैं जो पंचर जोड़ते हैं, सेना का कोई रिटायर्ड जवान ऐसा करता नहीं ही मिलेगा.
यह एक प्रोफेशनल सेना की प्रोफ़ेसनल स्कीम है. शानदार स्कीम है. इसे बस इसी रूप में देखें, अन्य धर्म / जाति आदि के चश्मे से इसकी विवेचना बेकार है.

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