Home विषयइतिहास भीष्म पितामह ने कहा था कि धर्म की गति अत्यंत सूक्ष्म

भीष्म पितामह ने कहा था कि धर्म की गति अत्यंत सूक्ष्म

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भीष्म पितामह ने कहा था कि धर्म की गति अत्यंत सूक्ष्म है और विडंबना देखिये कि स्वयं चूक गये क्योंकि वह ‘धृतराष्ट्र’ को ही ‘राष्ट्र’ मान बैठे।
परिणाम क्या हुआ?
-आंखों के आगे पूरा कौरवकुल नष्ट हुआ।
-स्वयं शरशैया पर छः महीने नर्क की यातना भोगते रहे।
-स्वयं धृतराष्ट्र आगे उन्हीं पांडवों के अन्न पर पलता रहा और मृत पुत्रों की स्मृति में सिर धुनता रहा।
महाभारत सदैव हर युग में और हर पल घटित होता रहता है और कृष्ण आपकी अंतरात्मा बनकर आपसे पूछते हैं,
बताओ क्या बनना चाहते हो, पार्थ या भीष्म?”
कोई जयंत चौधरी या कोई अखिलेश यादव अगर आपको सिर्फ इसलिये अच्छा लगने लगता है कि आपके नाम के आगे ‘चौधरी’ या पीछे ‘यादव’ लगा है तो तय मानिए अन्य हिंदू ‘अभिमन्यु’ तो आपके कारण किसी मुजफ्फरनगर, किसी कैराना में इन मु स्लिमों के हाथों मारे ही जायेंगे आप स्वयं भी ‘भीष्मगति’ को प्राप्त होंगे।
आपके हाथ में सिर्फ ‘एक बाण’ है जिसका आप दस तारीख को उपयोग कर सकते हैं लेकिन यादव बंधुओ, जाट बंधुओं सोचकर कीजिये कि इस बाण को ‘हिंदू’ बनकर चलाना है या ‘जाट’ या ‘यादव’ बनकर।
मुझे पूरा विश्वास है कि एक दो विश्वासघाती को छोड़कर हर यादव, हर जाट सिर्फ और सिर्फ ‘हिंदू’ बनकर वोट करेगा क्योंकि आपकी ‘जान,माल और बहन बेटी’ पर नजर जमाये दरिंदे म्लेच्छ आपको जाट या यादव नहीं बल्कि ‘का फिर हिंदू’ ही मानते हैं और तब कोई जयंत कोई अखिलेश आपको बचाने नहीं आएगा।
अब आपके ऊपर है कि आप ‘भगवा झंडा’ ऊँचा करते हो या ‘पाकिस्तानी हरा झंडा’!

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