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मजहबी भाई अब अरबी हो गए

by Nitin Tripathi
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इस पोस्ट को खुले हृदय और दिमाग़ से पढ़िएगा.
लखनऊ में लूलू माल खुला है. मज्जबी भाइयों ने भारत के मज्जबी भाइयों की भाँति सोंचा कि ये माल अपने मज्जबी भाई की है, यहाँ बस एक काम होगा – नमाज़.
वो ये भूल गए कि उनके ये मज्जबी भाई अब अरबी हो गए हैं. वह जो होटल बनाने के लिए मक्का में भी महजिज तोड़ देते हैं. वह जो मज़ार आदि पर तो यक़ीन ही नहीं करते. वह जिन्हें पता है आधुनिक विश्व में सस्टेन करना है तो पाकिस्तान का विरोध और भारत का समर्थन करना है. ये बात भारत में रहने वाले मज्जबी कभी न समझ पाए उनके अरबी आका समझ गए.
लूलू मैनेजमेंट ने ज़बर्दस्त सिक्यरिटी बढ़ाई. नमाज़ियों पर मुक़दमा लिखवाया. माल के बाहर पुलिस और pac की बटालियन तैनात है. मेरे जस्ट बग़ल में है तो चौबीस घंटे देख सकता हूँ.
एक बात और याद रखिए हाइपर मार्ट चलना न चलना उनकी क़िस्मत. पर वह मैनेज प्रोफेशनल कर रहे हैं बिल्कुल मज्जब से हट कर. भारत छोड़िए अमेरिका तक में इतना विशाल और वराइयटी वाला हाइपर मार्ट नही मिलता. वहत्सप मेसेजेज कि वहाँ केवल मुस्लिम कर्मी हैं इस के विपरीत उन्होंने खुलने के पहले से ही सब जगह अपने एम्प्लॉईज़ के नाम अख़बार से लेकर स्टोर इंट्रेंस तक लिख रखे हैं. मैनेजमेंट में एक भी मज्जबी भाई न पाएँगे. मालिक हिंदू वादी नेता योगी आदित्य नाथ से उद्घाटन कराते हैं, हर मौक़े पर मोदी जी के साथ दिखते हैं.
यक़ीन मानिए अभी वह जिस दिन सेल का बोर्ड लगाएँगे पूरा लखनऊ वहाँ टूट पड़ेगा और बनाया उन्होंने ऐसा है कि जाने के पश्चात जिनका विरोध है वह स्वयं सेल्फ़ी डालेंगे वही पर शॉपिंग करेंगे.
ऑनलाइन शॉपिंग को इसी तरह की हाइपर माल ही हरा सकती हैं – परचून की दुकाने नहीं. छोटे दुकानदारों के लिए ऑनलाइन शॉपिंग के आने से ही समस्या आ गई थी – उन्हें अपनी दुकाने चलानी हैं तो कस्टमर को एक्स्ट्रा सर्विस जैसे पर्सनल केयर, होम डिलीवरी आदि देनी पड़ेगी अन्यथा एक ओर अमेजन तो दूसरे ओर लूलू जैसे हाइपर माल से मुक़ाबला करना आसान नहीं. कस्टमर के ऐंगल से वराइयटी और प्राइज़ में लूलू / अमेजन को टक्कर नहीं दी जा सकती.

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