Home विषयसामाजिक माँ बाप का अपमान | प्रारब्ध

माँ बाप का अपमान | प्रारब्ध

लेखिका - मधुलिका शची

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भारतीय माता पिता को चाहिए कि वो मान लें कि अपने बेटे को वो किसी दूसरे की बेटी के लिए पाल रहें हैं और शादी के बाद अपने बच्चों पर अधिकार जमाना एक दम से बन्द कर दें……..
खुद को एक किरायेदार मानकर आराम से हद में रहें..!
रहना तो आपको हद में ही है , वो चाहे शान्ति से रह लो या झगड़े के बाद..!
सारी समस्या की जड़ यही है कि आप अपने बेटे को अपना बेटा समझकर कुछ ज्यादा ही केअर करने लगते हो, अधिकार जमाने लगते हो और आपको लगता है कि ऐसे ही आप बहू पर भी अधिकार जमा लोगे..!!!
भई शादी हो गयी है उसकी ,अब उसके मम्मी पापा बदल गए हैं। लड़की के ही मम्मी पापा उसके भी मम्मी पापा हैं।
दूसरी बात बहुत अत्याचार किया है आपने बहुओं पर अब हम महिलाएं बदला लेंगी..!
पता नहीं क्यों इस देश में ढेर सारे वृद्धा आश्रम नहीं है वरना हर एक को वृद्धा आश्रम भेज कर हम लोग मस्त चैन की नींद लें……मगर क्या करें झेलना पड़ता है इनको..!
शादी हो रही है गांव जाना है , अरे बाप रे बड़ा काम रहता है वहाँ तुम जाओ मैं तो नहीं जाऊंगी….अच्छा ..! ठीक है चलती हूँ लेकिन शादी के तुरंत बाद वापस आना है ..
कह देना बच्चों का कॉलेज खुला है ….!
पर कॉलेज तो गर्मी की छुट्टी को लेकर बन्द है …
अरे ट्यूशन तो चल रहा है बच्चों का. !
मैं नहीं रुकने वाली गांव, अरे मेरा तो सिर दर्द करने लगता है वहां. !

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