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यासीन मलिक – बात 1996 की

Nitin Tripathi

by Nitin Tripathi
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सन 1996 में मैं दिल्ली में लोधी कालोनी में रहता था और मेरा पड़ोसी था यासीन मलिक. यासीन के बारे में सबने सुना था, कुख्यात आतंकवादी, JKLF का हेड. खूब हिंसा का तांडव मचाने के पश्चात अब वह दिल्ली आ गया था इस वादे के साथ कि अब वह खुद हिंसा नहीं करेगा लेकिन दिल्ली में रह कर शांति पूर्ण तरीक़े से कश्मीर को भारत से आज़ाद कराएगा.
हम लोग तो राजनैतिक बच्चे थे. पर इतनी अक़्ल हमें भी थी कि इसने पहले खुद मार काट की, काश्मीरी पंडितों को भगाया, अपना संगठन बड़ा किया. अब यह इस लेवेल पर है कि इसे खुद बंदूक़ चलाने की ज़रूरत नहीं, बस पैसा भेजना है आदेश करना है. पर हमारी दिल्ली की सरकारें इतनी ‘भोली’ होती थीं कि उन्होंने यह सच मान लिया था. स्वयं ही न्यायाधीश बन कर वर्डिक्ट भी दे दिया था. याशीन मलिक को दिल्ली की सबसे पॉश कालोनी में भारत सरकार VVIP सुविधाएँ देकर रखती थी. हम टैक्स पेयर थे, स्थानीय नागरिक थे, हमें विशेष ID दिए गए थे, अपने घर भी जाना हो तो चेक पोस्ट पर ID दिखाना पड़ता था. आख़िर हमारा पड़ोसी भारत सरकार का नया बना दामाद याशीन मलिक जो था.
उन सुरक्षा कर्मियों को जिसंकी उसने हत्याएँ की थीं उन्ही को दायित्व मिला था याशीन को VVIP सुविधा देने का. आपने कश्मीर फ़ाइल्ज़ देखी होगी. एयर फ़ोर्स अफ़सर की हत्या वाले सीन का असल हत्यारा याशीन मलिक था. और उसी यशीन मलिक को भारत सरकार के सैंकड़ों PAC वाले, कमांडो सुरक्षा देते थे.
लम्बे समय भारत सरकार ने सेक्युलरिज़म के नाम बेवक़ूफ़ी का नंगा नाच होने दिया. कश्मीर में कॉमन था, पहले खूब हत्याएँ करो. फ़िर भारत सरकार के सामने समर्पण कर दो. भारत सरकार पाँच लाख रुपया देगी. इन रुपयों से और गोली बम बारूद मँगवाओ और आतंकवादी बनाओ और उन सबके बदले पाँच पाँच लाख फ़िर से लो. और यह साइकिल चलता ही रहता था.
ग़नीमत है अंततः भारत में एक सरकार आई जिसे पता है कुत्ते की दुम कभी सीधी नहीं होती. याशीन मलिक पर मुक़दमा चला. याशीन ने अदालत में खुले आम स्वीकार भी किया कि कश्मीर में आतंकवाद के लिए वह फ़ंडिंग का कार्य करता है, बैकिंग करता है. भारत के सेक्युलर लोगों के पेट में दर्द है हाय कितना सीधा बच्चा है 1994 के बाद खुद अपने हाथ से हत्या नहीं की, हाँ फ़ंडिंग करता है तो क्या बुरा है.
आपको ढेरों सेक्युलर कहते मिल जाएँगे जो हुआ भूल जाओ. आज कश्मीर बंद है. कश्मीरियों ने कश्मीर बंद कर रखा है – इस लिए नहीं कि अभी कुछ दिन पूर्व एक काश्मीरी पंडित की नाम पूँछ ऑफ़िस में घुस कर हत्या कर दी आतंकियों ने, इस लिए नहीं कि कल एक पुलिस कर्मी की उसकी बच्ची के सामने हत्या कर दी गई. कश्मीर इस लिए विरोध में बंद है कि उनके बच्चों को आतंकवादी बनाने वाले याशीन मलिक को सजा होने वाली है. यह न सुधरे हैं न सुधरेंगे.
अंततः आज यासीन मलिक को उम्र क़ैद की सजा हुई. इसके लिए तो फाँसी भी कम थी, पर जज साहब को भी अपना खर्च पानी चलाना है, उन्हें भी अपनी अपने घर परिवार वालों की ज़िंदगी प्यारी है तो उम्र क़ैद ही सही.

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