यूक्रेन की राजधानी कीव से लीव जा रहे ट्रेन याने वॉर जोन से सेफ जोन को जा रही ट्रेन में अफ्रीकन लोगों के साथ भेदभाव किया जा रहा है.. यहाँ यूक्रेन के व्हाइट लोगों को प्राथमिकता दी जा रही है कि वे पहले ट्रेन में चढ़े.. अगर सीट बचेगी तो काले लोग चढ़ सकते है.. लेकिन ऐसे सिचुएशन में सीट खाली बचेगी क्या?? अरे सीट्स तो छोड़िए पूरा डब्बा ही खचाखच भर जा रहा है.. और इसमें व्हाइट लोगों की एंट्री पहले है.. ऐसे में अफ्रीकन लोग स्टेशन पे बस बैठे ही रह रहे हैं.. उनकी बारी न आ रही ट्रेन चढ़ने की.. अब ऐसे में आवाज़ तो आएगी ही न ? कि या तो हमें यहां मरने के लिए छोड़ दो या हमें कम से कम आदमी तो समझो ??
अफ्रीका के 55 देशों के लोग किसी न किसी प्रकार से यहां कम या ज्यादा की संख्या में स्टडी से लेकर किसी जॉब के तहत यहां रह रहे है। और जब इमरजेंसी की बात है तो यहाँ आदमी नहीं वरन चमड़े का कलर देखा जा रहा है।
अब ऐसी स्थिति में कल भारत सरकार अपने चार मंत्रियों को यूक्रेन के पड़ोसी देशों में भेज के एक-एक स्थिति से रु-ब-रु होते हुए कीव से लगभग सभी भारतीयों को वहाँ से सुरक्षित निकालने में सफल हो पाती है तो इसकी प्रशंसा तो छोड़िए इसमें ही कमी निकालने वाले हजारों मिल जा रहे हैं। स्पेशल 26 फ्लाइट्स,इंडियन एयर फोर्स के एयरक्राफ्टस लगातार वहां से भारतीयों को सुरक्षित निकाल रही है वहीं अभी भी यूक्रेन में लोगों को ट्रेन में जगह न मिल रही है और सेफ जोन में न जा पा रहे हैं और ऐसे में लोग कहेंगे कि भारत सरकार क्या कर रही है तो भाई कसम से भोत कर्री वाली गाली हृदय तल से निकलती है.. कसम से बता रिये है।