Home हमारे लेखकनितिन त्रिपाठी यूक्रेन मे छिड़े युद्ध की वजह से इन दिनों…

यूक्रेन मे छिड़े युद्ध की वजह से इन दिनों…

by Nitin Tripathi
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यूक्रेन मे छिड़े युद्ध की वजह से इन दिनों काफी बहस यूक्रेन आदि देशों मे पढ़ने जाने वाले बच्चों पर भी हो रही है। कोई उन्हें अमीर बाप की बिगड़ी औलादें बता रहा है तो कोई उनके पैरेंट्स को ही गालियां दे रहा है कि जिगर के टुकड़े को घर से बाहर क्यों निकलने दिया तो कोई बात रहा है कि इस मौके पर उन्हें यूक्रेन के साथ खड़े रहना चाहिए, आखिर लॉयल्टी भी कोई चीज होती है।
इनमें अधिसंख्य पोस्ट जानकारी के अभाव से या फिर ज्वलन भावना से या केवल लाइक शेयर के लिए होती हैं।
प्रथम तो यह कि सबसे उत्तम है यदि नीट में बहुत अच्छे अंक लाकर सरकारी विद्यालय से एमबीबीएस किया जाए। जाहिर सी बात है ऐसे लोगों की संख्या बहुत कम होती है। कहना आसान है, करोड़ों के काम्पिटिशन मे दस हजार रैंक लाना बहुत मुश्किल। यदि नीट से सरकारी विद्यालय नहीं मिलता तो प्राइवेट कालेज से एमबीबीएस। और अगर फिर भी उतनी अच्छी रैंक नहीं है तो प्राइवेट कालेज मे डोनेशन से एमबीबीएस। इन दोनों विकल्पों में खर्च प्रायः एक करोड़ से दो करोड़ या जाता है पूरी पढ़ाई में।
यदि आप इतने एक्स्ट्रा ऑर्डनेरी talented 1% वाले नहीं है और आपका बजट एक करोड़ से दो करोड़ नहीं है तो फिर बांग्ला देश, नेपाल, रूस जैसे देशों से डाक्टरी पढ़ना एक अच्छा विकल्प है। ध्यान दें अब वहाँ भी अड्मिशन मे नीट के मार्क्स देखे जाते हैं, पर खर्च वहाँ भारत के प्राइवेट कालेज से काफी कम आता है। मोटा मोटी साल के छः से दस लाख खर्च मे पढ़ाई हो जाती है और एक नए देश मे रहने का अनुभव भी जुड़ जाता है।
अमेरिका जैसे देश अपने यहाँ के छात्रों को अमेरिकन लाइफ/ अमेरिकन तरीके से जीना सिखाते हैं। वहीं रूस / यूक्रेन जैसे देशों का सीधा कान्सेप्ट है, उन्हें आपसे पैसे चाहिए, पैसे दो पाँच छः साल की डिग्री लो, घर जाओ। कोई ईमोशनल ड्रामा नहीं। तो ये कहना कि यूक्रेन के लोगों के साथ वह रहें, लॉयल्टी दिखाएं बचकाना है। वैसे भी इस समय यूक्रेन मे भी जो कोई जहां भाग सकता है भाग रहा है। कोई यूं ही आकाश से गिरते बम के नीनचे आकर मरना नहीं चाहता। यह कोई सेना वाला युद्ध नहीं कि सेना में शामिल हो बहादुरी दिखाओ।
बाहर से एमबीबीएस करने के बाद अगली समस्या आती है यदि भारत मे प्रैक्टिस करनी है तो एमसीआई का एक इग्ज़ैम पास करना पड़ेगा वापस आकार। यह इग्ज़ैम बहुत टफ होता है, इससे अच्छे तो नीट ही निकाल लेते। तो दूसरा उपाय यह रहता है कि बाहर से ही एमडी या एमएस कर लो, तब भारत आओ। यद्यपि रूस / यूक्रेन आदि देशों से डिग्री लेने के पश्चात भारत मे वह सेलरी नहीं मिलती जो भारत मे पढे डॉक्टर को मिलती है क्योंकि उन देशों मे प्रैक्टिकल इक्स्पोशर कम था। पर यह भी है कि भारत मे लग भी तो एक दो करोड़ रहे थे। और कुछ साल प्रैक्टिस के बाद यह सेलरी का अंतर समाप्त हो जाता है।
अंततः यही कि यदि आप हजार मे एक वाले talented नहीं हैं और आपके पैरेंट्स करोड़पति नहीं हैं, पर डॉक्टर बनना चाहते हैं तो रूस / नेपाल / बांग्ला देश आदि अच्छे और सस्ते विकल्प हैं।
कहने वाले कहते रहेंगे अपनी लाइफ आपके हाथ मे हैं, कैरियर बनाइये, यही काम आएगा।

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