Home राजनीति योगी है तो नामुमकिन भी मुमकिन है.

योगी है तो नामुमकिन भी मुमकिन है.

Satish Chandra Mishra

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सेक्युलर लिबरल वामपंथी कांग्रेसी मीडियाई ठगों जालसाजों ने दशकों तक जिस भयानक सच को सेक्युलरिज्म नाम की धोखाधड़ी के पर्दे के पीछे छुपाया। हिन्दूओं की आंखों में लगातार धूल मिर्च झोंकी।
वह सभी ठग, जालसाज, मक्कार आज पूरी तरह तब नंगे हो गए जब बनारस में मंदिर तोड़कर डकैत औरंगज़ेब द्वारा बनवाए गए डाकुओं के अड्डे की तीन दिन तक हुई तलाशी पूरी हुई। उनके नंगे होने की आधिकारिक औपचारिक पुष्टि डाकुओं के अड्डे की तलाशी की रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत होने के साथ हो जाएगी।
जिन अनपढ़ गंवार कट्टरपंथी मज़हबी गुंडों ने शाहबानो केस में देश के संविधान को कांग्रेसी लंपटों के सहयोग से बदलवाया, खालिस्तानी गुंडों हत्यारों आतंकियों के जिन राजनीतिक कंडोमों ने देश की संसद द्वारा बनवाए गए कृषि कानून को वापस करवाया.
वही गुंडे और राजनीतिक कंडोम आज दुहाई दे रहे हैं चिल्ला रहे हैं कि वाराणासी में डकैत औरंगजेब द्वारा मंदिर तोड़कर बनवाए गए डाकुओं के अड्डे की रक्षा “प्लेसेज़ ऑफ़ वर्शिप (स्पेशल प्रोविज़न) एक्ट, 1991” नाम का वह पत्थर करेगा जिसे 1991 में कांग्रेसी लंपटों ने 100 करोड़ हिंदूओं की छाती पर जबरदस्ती लाद दिया था.
अनपढ़ गंवार कट्टरपंथी मज़हबी गुंडों अब बस यह तय करना है कि “एक हाथ में माला, दूसरे हाथ में भाला” वाले योगी के हाथ की माला या भाला में से वो किस का सामना करना चाहेंगे। क्योंकि अब यह साफ हो चुका है कि मोदी है तो सब मुमकिन है लेकिन योगी है तो नामुमकिन भी मुमकिन हैं.

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