सुनो राहुल,
ये तुम्हारी इटालियन मम्मी का मायका नहीं है जिसे तुम परिभाषित करते फिरो।
ये हमारा दुर्भाग्य है कि हम तुम जैसे बुद्धिहीन को ढो रहे हैं पर तुम्हारी कुटिल माता और बहनों का अंत अब नजदीक है।
तुमने मु स्लिमों, वामियों, अंग्रेजों व उनसे प्रभावित भ्रमित लोगों की तरह इस सनातन राष्ट्र के ऊपर प्रश्न उठाया है।
तुम होते कौन हो हमारे राष्ट्र के ऊपर प्रश्न उठाने वाले।
तुम और तुम्हारी कॉंग्रेस के शतप्रतिशत बुद्धिजीवियों को तो देश, राष्ट्र, राज्य व राष्ट्रराज्य शब्दों का अंतर तक नहीं पता।
होगा अमेरिका राज्यों का संघ जिन्हें अलग अलग यूरोपीय क्षेत्र के निवासियों ने बनाया था, होगा इटली राज्यों का संघ जो मैजिनी, काबूर और गैरीबाल्डी ने बनाया लेकिन भारत…..
भारत उस दिन से राष्ट्र है जिस दिन ऋषियों ने इस राष्ट्र के तीन आधार, ‘भूमि’, ‘जन’ और ‘संस्कृति’ की अभिव्यक्ति दी-
“माता भूमिः पुत्रोऽहं पृथिव्याः”
और फिर उन्होंने स्पष्ट शब्दों में घोषणा की-
“वयं राष्ट्रे जागृयांम पुरोहिता:”
भरत के वंशज भरतों ने इस भावना का विस्तार किया और पामीर अर्थात सुमेरु की ऑक्सस अर्था वंक्षु नदी से लेकर दक्षिण सागर को एक भोगौलिक संज्ञा मिली-“भारतवर्ष”
तुम और तुम्हारे पालतू बुद्धिजीवियों की मानसिक क्षमता से बाहर है इस राष्ट्र की परिभाषा को तय करना।
सब लोग जान लें कि,
‘न तो कोई गांधी इस राष्ट्र का पिता है और न कोई इस राष्ट्र का जन्मदाता।’
ये एक स्वतःस्फूर्त राष्ट्र है जिसे आवश्यकता पड़ने पर भरत, पृथु, रघु, राम, युधिष्ठिर, मौर्य, गुप्त, प्रतिहार और नवीनतम रूप में सरदार पटेल ने राजनैतिक संगठन प्रदान किया।
संविधान नश्वर है, राष्ट्र अमर है।
इस छोटे से तथ्य को समझने में तुम जैसे बैलबुद्धि और तुम्हारे धूर्त सलाहकारों की बुद्धि समझने में असमर्थ है।
भारत भूमि का एक टुकड़ा भर नहीं है वह एक भावना है जिसे हर हिंदू यज्ञ पूजा व संकल्प करते समय इसके भोगौलिक प्रतीक के रूप में याद रखता है,
“जम्बूद्वीपे आर्यावर्ते भरतखंडे……”
इसलिये,
हम एक राष्ट्र थे,
हम एक राष्ट्र हैं,
हम एक राष्ट्र रहेंगे।

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