लेखक-निर्देशक एसएस राजमौली चर्चाओं में है, क्योंकि उनका पीरियड कंटेंट ट्रिपल आर सुर्खियां बटोरने में मग्न है। फ़िल्म को थियेटर्स रिलीज के बाद ओटीटी पर फेंका गया और गैर-अंग्रेजी भाषी फ़िल्म नेटफ्लिक्स पर हफ़्तों तक ट्रेंड में रही। यूरोपीय देशों के लेखक-निर्देशक फ़िल्म के स्क्रीन प्ले की जमकर सराहना कर रहे है और कइयों ने यहाँ तक कह डाला है। कि ऐसा पहले कभी नहीं हुआ है। वाक़ई शुद्ध सिनेमा है इससे सीखने की जरूरत है।
इससे पहले मार्वल यानी एमसीयू के लिए फ़िल्म डॉक्टर स्ट्रेंज व गेलेक्सी निर्देशित करने वाले निर्देशकों ने आर आर आर की भूरी-भूरी प्रशंसा की।
राजमौली ने फ़िल्म के प्रमोशनल इवेंट्स में कहा था, कि इसका किले के अंदर जाने वाला एक्शन सीक्वेंस दर्शकों की बॉडी के रौंगटे खड़े कर देगा। फिरंगी बावले हो चले है साधारण कहानी को इतना हाई स्केल असाधारण स्क्रीन प्ले देना और उसे बेहतरी से इम्प्लीमेंट करना, सिनेमाई स्किल्स को दर्शाता है।
निःसन्देह राजमौली अपनी कहानियों व उनके किरदारों को बड़ा कर देते है कि जब 70एमएम पर आता है तब सिर्फ किरदार ही नजर आते है। कलाकार उनमें खो जाता है। आमिर खान ने यूँ ही राजमौली को लाल सिंह नहीं दिखाई है। सजेशन लेकर बदलाव कर सके, किया भी है।
ट्रिपल आर को गोरों से जिस प्रकार की प्रतिक्रिया मिल रही है न, गर्व का अहसास हो रहा है। वैश्विक पटल पर भारतीय सिनेमा चर्चा का केंद्र बना हुआ है। फिक्शन ड्रामा, जो सिनेमाई तकनीक व बारीकियां बतला रहा है। इतने हाई स्केल स्क्रीन प्ले एमसीयू कंटेंट में देखने को मिलते है। राजमौली ने अपने विजन से गोरों को चकित कर दिया है। भविष्य में इससे नेक्स्ट लेवल का संकेत भी जाहिर किया है।
ट्रिपल आर मार्च में रिलीज हुई थी। अब अगस्त चल रहा है और फ़िल्म ट्रेंड में बनी हुई है। ज़ी सिनेमा टेलीविजन पर भीम और राम को लेकर पहुँचने वाला है।
अब भारतीय सिनेमा बॉलीवुड का केंद्र कतई न रहा है। रीजनल कंटेंट धीरे धीरे उसकी धुरी बदलने पर लगे हुए है और दुनियाई पटल पर खड़े होकर भारतीय सिनेमा का तिरंगा फहराएंगे। राजमौली और अन्य प्रतिभावान कलाकार नेतृत्व करेंगे। सिनेमा किसी की बपौती न रहा है। अच्छा आगे निकलेगा और बुरा…मुँह काला करवाकर घर में बैठेगा।