Home विषयमुद्दा विश्व-शांति, क्लाईमेट-चेंज, पैरेंटिंग, नैनो-रेसिज्म व हमारी मानसिकता इत्यादि की पारस्परिक निर्भरता

विश्व-शांति, क्लाईमेट-चेंज, पैरेंटिंग, नैनो-रेसिज्म व हमारी मानसिकता इत्यादि की पारस्परिक निर्भरता

by Umrao Vivek Samajik Yayavar
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पिछले कुछ महीनों से धीरे-धीरे कुछ किताबों पर काम चल रहा है, अधिकतर किताबें मूलतः हिंदी भाषा में हैं। एक किताब मूलतः अंग्रेजी भाषा में है, आशा है कि यह किताब जल्द ही कुछ महीनों में पढ़ने के लिए उपलब्ध होगी। यह भी आशा है कि इस किताब के प्रकाशित होने के चंद महीनों में ही हिंदी भाषा में उपलब्ध हो जाएगी, क्योंकि सामाजिक विषयों पर वालंटरली अनुवाद करने के लिए एक योग्य व विचारशील साथी उपलब्ध हैं, जो मेरी ही तरह नल्ला हैं इसलिए उनके पास भी समय की कमी नहीं रहती है।

 

 

अभी यह तय नहीं है कि यह किताब एप्पल-ईबुक प्लेटफार्म पर उपलब्ध होगी या हमारे ई-बुक प्लेटफार्म पर या दोनों पर। भविष्य में भारतीय पाठकों के लिए प्रिंट किताब के रूप में भी प्रकाशित करने की योजना है। आप जानते ही हैं कि मैं कह ही चका हूं कि मेरी किताबें या तो बिलकुल मुफ्त उपलब्ध रहेंगी या कास्टली रहेंगी। यह किताब भी ऐज-युजुअल कॉस्टली ही होगी।

 

 

आदि के जीवन में आने के बाद, व्यक्तिगत व्यस्तताएं कुछ ऐसा बढ़ीं कि कई किताबें आधी, तीन-चौथाई, एक-तिहाई जैसी ही हो पाईं और कई वर्षों बाद भी मस्तिष्क उन अवस्थाओं में नहीं पहुंच पाया कि किताबें पूरी हो पाएं। कुछ किताबें ऐसी रहीं कि समय से पूरी न हो पाने के कारण उनके कई अध्यायों की प्रासंगकिता ही नहीं रही, तो किताब पूरी करने का उत्साह भी कम हो गया क्योंकि मूल ढांचों में काफी-कुछ परिवर्तन करना पड़ता।
इसलिए पिछले कुछ महीनों से ताजी किताबों पर काम कर रहा हूं, ताकि किताब-लेखन का व्यवस्थित मोमेन्टम विकसित किया जा सके, ताकि पुरानी अधूरी किताबों को भी पूरा करने की स्थिति में पहुंचा जा सके। आशा है कि किताब आपके लिए समझ व संवाद का माध्यम सिद्ध होगी। आप की शुभकामनाओं, शुभेच्छा व भावनात्मक सहयोग के लिए सदैव आभारी हूं।
विवेक उमराव

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