उनके जन्म से पहले और जन्म के पश्चात,उन्हें मारने का प्रयास करने वाले,जितने भी राक्षस आए,जिस भी रूप में आए,वो सब न मात्र असफल हुए,
बल्कि उनका अंत हो गया।
ध्यान देने वाली बात ये है,
उससे पहले ये शक्तिशाली राक्षस कभी असफल नहीं हुए थे,कभी भी नहीं,उन्होंने असंख्य अत्याचार किए थे,साधु संतों,तपस्वियों पर,धर्म का पालन करने वाले मानवों पर,किंतु उनका काल ही था,जो उन्हें वो योगेश्वर श्री कृष्ण के बाल रूप तक खींच लाया।उनकी सारी मायावी शक्तियां,सारा पराक्रम,सारा अनुभव,श्री कृष्ण के समक्ष समाप्त हो गया,उनका पर्वत जैसा अहंकार उनके अंतिम समय श्री कृष्ण की मुस्कान के समक्ष स्वाहा हो गया,और श्री कृष्ण द्वारा उनका जब वध हुआ,तो उनकी आत्मा,
पुनः श्री हरि में समाहित हो गई।
मित्रों,योगेश्वर कृष्ण,सत्य/धर्म के सारथी भी हैं,सत्य और धर्म के रथ पर जो भी उनके साथ सवार होता है,प्रभु उनको कभी हारने नहीं देते,फिर सामने अधर्म,असत्य और षड्यंत्रों का साथ देने वाले कितने ही मायावी और कितने ही शूरवीर क्यों न हों,जो धर्म और सत्य के साथ नहीं,उनका पतन वो अवश्य करते हैं।
मित्रों,हमारे श्री कृष्ण के अवतरण दिवस पर समस्त कृष्ण भक्तों को हार्दिक मंगलकामनाएं,हम सब कृष्ण से ही तो हैं,नर,नारी,किन्नर,गंधर्व,असुर,देव,दानव,दैत्य,सब पुनः उनमें ही समाहित हो जाएंगे और इस कलियुग में जो स्वयं को कृष्ण से ऊपर समझ अहंकारी हो गए हैं,और कृष्ण भक्तों के विरुद्ध शकुनी जैसे षड्यंत्र रच रहे हैं,
वो दुर्योधन जैसे हठी हों,या पौंड्रक जैसे बहरूपिये,उनकी शक्ति का अहंकार,या उनके द्वारा रची गई माया भी,
श्री कृष्ण,उनकी शक्तियों और
उनके सहयोगियों समेत स्वाहा कर देंगे,
कर्मों का दंड तो मिलेगा ही मिलेगा…
सुदर्शन चक्र तो चलेगा ही चलेगा..
ये निश्चित है.!
जय जय श्री कृष्ण
चित्र आकाश गंगा का है,जिसकी मिरर इमेज का मिलान करने पर,योगेश्वर श्री कृष्ण द्वारा अर्जुन को दिखाए विराट स्वरूप की झलक दिखाई देती है,कुछ भक्तों को कई और स्वरूप दिख सकते हैं,दिखे भी हैं,क्योंकि विराट स्वरूप में सब समाहित थे।इसमें कोई छेड़ छाड़ नहीं की गई है,बस आकाश गंगा की मिरर इमेज क्रिएट की गई है,इससे जुड़ी पोस्ट चित्ररथ तत्वज्ञ वाली बैक अप आईडी पर आरंभिक पोस्ट में आपको मिलेंगे