समाजवादी पार्टी के लोग सत्ता मिलने या मिलने की सम्भावना मात्र से ही ब्राह्मण या ठाकुर जैसे एरोगेंस में आ जाते हैं। समाजवादी पार्टी के लोग यह छोटी सी मूल बात नहीं समझना चाहते हैं कि भारतीय समाज भयानक रूप से जातीय कुंठा से भरा है (समाजवादी पार्टी के लोग भी)।
पिछड़ी व दलित जातियों के समाज व लोग, ब्राह्मण या ठाकुर का एरोगेंस और अग्रेसन बर्दाश्त कर लेगा लेकिन किसी दलित पिछड़े का नहीं करेगा। यदि पिछड़ी जातियों के लोग समाजवादी पार्टी को मत देने का मन बनाते भी हैं वे भी समाजवादी पार्टी के लोगों का एरोगैंस देख महसूस कर, मतदान की तारीख आते-आते केवल एरोगैंस के कारण मन बदल लेते हैं।
इसलिए, गलतियां न कीजिए, अपने अंदर भीतर से परिपक्वता लाइए। भारतीय समाज का तानाबाना बहुत पेचीदा है। सामाजिक न्याय का मतलब आपके द्वारा दूसरों को सामाजिक न्याय दिया जाना भी है। अवसर बार-बार नहीं आते हैं, इसलिए कम से उन गलतियों को तो नहीं कीजिए, जिनको पहले करके भुगत चुके हैं।
मैंने यह महसूस किया है कि जब भी चुनाव आते हैं, तब समाजवादी पार्टी के लोग बहुत उत्तेजित हो जाते हैं, यह उत्तेजना बढ़ते-बढ़ते आक्रामकता की अवस्था तक पहुंच जाती है। बिलकुल मान लेते हैं कि चुनाव जीत ही चुके हैं।
———
बहुत संभावना है कि आपको मेरी बात गलत लगे, आपको मुझ पर क्रोध भी आए। लेकिन विश्वास कीजिए मैंने यह सुझाव मित्रवत ही दिया है। आशा करता हूं कि मेरे सुझाव को अन्यथा नहीं लेकर जिन लोकतांत्रिक मूल्यों की अपेक्षा समाजवादी पार्टी के समर्थक भाजपा कट्टर-समर्थक लोगों से करते हैं, उन्हीं मूल्यों कों स्वयं में भी लागू करते हुए ही मेरी बात को लेंगे। धन्यवाद।
_____
Vivek Umrao
previous post