Home राजनीति सांड का काम, बैल से नहीं होगा।
Boots on the ground – स्ट्रीट पावर को लेकर भाजपा का चिंतन कुछ है तो आज तक पता नहीं। आज तक तो केवल भाषण ही सुने हैं। राजनीति और कूटनीति भी देखी है लेकिन स्ट्रीट पावर को लेकर स्पष्ट चिंतन का अभाव तथा उससे मुंह फेरना एक बहुत बड़ी vulnerability का निदर्शक है। शत्रुबोध ठीक है लेकिन वो बोध सम्यक होना चाहिए और हर स्तर पर उसका परिणामकारक प्रत्युत्तर भी उपलब्ध होना चाहिए।
यहाँ तो वॉ कहानी ही अधिक दिखती है जहां अच्छा कहलाने के लिए खुद ही खुद को निर्बल किया जाना है, जैसे राजकुमारी के प्रेम में पागल सिंह ने अपने दांत तुड़वाए, नाखून कटवाए और दुर्गति को प्राप्त हुआ। यहाँ हिंदुओं को अहिंसा अफीम की तरह पिलाई जा रही है और जो हिंसा से डरते हैं वे अपनों को ही उसपर शर्मिंदा करते दिखते हैं।
“यदर्थम क्षत्रिया सूते तस्य कालोsयमागत:” लगता है यह वाक्य इन्होंने न पढ़ा है न सुना है।
क्या इन्हे यह नहीं दिखता कि शत्रु जो है वो हिंसा के आधार पर, उसके प्रदर्शन से और उसकी धमकी से ही आप को डोमिनेट करता है, आप से जो चाहे जब चाहे छीन लेता है और उसे अपने धर्म की सफलता बताकर चौड़ा होता है जब कि वो संघटित गुंडई से अधिक कुछ नहीं ? जब इतिहास दुबारा लिखने की बात हो रही हो तो इस बात से क्यों मुंह फेरना ?
कुंए के नहीं, अब पतीले के मेंढक बन चुके हैं हम, गरम पानी में मज़ा जो आ रहा है। शिवसेना के खत्म होने पर जो हिन्दू जलसा मना रहे हैं उन्हें यह बात समझ नहीं आती, वो सोच ही है नहीं। वैसे शिव सेना जिस दिन शरद पवार के साथ गई, तब ही पतन हो गई थी, स्ट्रीट पावर नहीं रही थी ।
आशा है उस हिन्दू स्ट्रीट पावर का फिर से उत्थान होगा । क्योंकि बैल जो होता है, बौद्धिक दे सकता है, सांड का काम सांड को ही करना होता है।

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