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साम्प्रदायिक हिंसा और योगी सरकार

by रंजना सिंह
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मन इतना अशान्त और विचलित है कि ऐसे में संतुलित उद्गार देना अत्यन्त कठिन लग रहा है।अतः ऐसे में जो संतुलित रह पूरे कनविक्शन के साथ बात को रख पा रहे हैं और उसमें भी उनकी अभिव्यक्ति विचार अपने ही हृदय के लगने लगे तो उक्त के प्रति मन आभारनत हो उठता है।
आदरणीय डॉक्टर भूपेन्द्र सिंह जी की मैं आभारी हूँ ऊर्जादायक मार्गदर्शक इस पोस्ट के लिए:-
कोई खूँटे पर बैठने को तैयार है तो सरकार भी खूँटे पर बैठाने को तैयार है। चिंता की कोई आवश्यकता नहीं है।
रही बात मोदी और योगी के तुलना की तो यह बेकार तुलना है। योगी जी कल को प्रधानमंत्री बनेंगे तो पुलिस और प्रशासन का काम उनके पास नहीं रहेगा, वह काम तो राज्य सरकार द्वारा ही होगा।
तथाकथित महाकट्टर लोग पहले व्यवस्था को समझें, मोदी का वास्तव में तीन काम है, पहला देश की सरहद की सुरक्षा, दूसरा आतंकी घटना रोकना और तीसरा नक्सलवाद पर लगाम। प्रशासन और क़ानून की स्थापना राज्य स्तर पर होता रहा है और होगा।
भाजपा को कोसने से काम नहीं चलेगा, हम आप ही भाजपा हैं, वह कोई अलग से मशीन अथवा व्यक्ति नहीं हैं। हम सब उसके शेयर होल्डर हैं। वह भी लोग हैं जिन्होंने हिंदुत्व के नाते नहीं बल्कि करोना के समय राशन के लिए वोट दिया, वह लोग भी हैं जिन्होंने भाजपा में अपने जाति के नेता को देखकर वोट किया।
हिंदुत्ववादी शेयरहोल्डर बढ़ाना हम सबकी ज़िम्मेदारी है। यह जितना बढ़ेगा, उतनी हिंदुत्व प्राथमिकता बनती जाएगी। योगी बाबा को भी चुनाव में 75% वोट हिंदुत्व के अतिरिक्त अन्य मुद्दों पर मिला है।
उबलने, खौलने, बिफरने, पगलाने, तड़पने, कोसने, गाली बकने, सबक़ सीखाने से कुछ नहीं होगा। एक मात्र विकल्प है प्रथम प्राथमिकता के हिंदुत्व पहचान वालों की संख्या बढ़ाना। इसके अतिरिक्त कोई विकल्प नहीं है। बंगाल में हमने ज़ोर लगाया थोड़े से रह गया, प्रश्न है भाजपा बचाने क्यूँ नहीं गयी? भाजपा बंगाल में कौन है? कोई व्यक्ति या मशीन? वहीं लोग वहाँ भाजपा हैं जो उसको वोट दे रहे हैं। और यदि बंगाल में चुनाव से आगे बढ़कर आपको प्रशासन में दखल देना था तो फिर चुनाव ही क्यूँ लड़ा? और राष्ट्रपति शासन विकल्प होता फिर तो देश भर में यही लगाया जाता और फ़ेडरल सिस्टम को बलि दे दी जाय। महाराष्ट्र में भी चुनाव की क्या ज़रूरत है?
कोई भी जनता किसी पार्टी को वोट देकर उस पार्टी का उद्धार नहीं करती, उस पार्टी पर उपकार नहीं करती। अपने उपकार के लिए, अपने उद्धार के लिए उस पार्टी का शेयर होल्डर बनती है। थोड़ी कमी रह गयी पूरी होगी, उन शेयर होल्डर को बेचारा मत बताइए। जैसे चुनाव छ महीना बचेगा फिर से वहीं लोग जो डर से उधर भागे हैं, इधर आएँगे। रोना चिल्लाना, हाहाकारी प्रलाप करना बंद करिए। लोकतंत्र की अपनी व्यवस्था, परिवर्तन की गति धीमी है, पर यह रुकी हुई, सड़ी हुई व्यवस्था नहीं है।
आप किसी पार्टी को वोट अपने सिद्धांत, मूल्य, फ़ायदे के लिए देते हैं, उसके फ़ायदे के लिए नहीं। आपको उपलब्ध सबसे श्रेष्ठ विकल्प जो लगता है, उसे दीजिए।
कुछ लोगों ने कहा की भाजपा सत्ता में है बचा नहीं पा रही है। भाजपा सत्ता है में है इसीलिए आपको कबीलाइयो के हमले पर क्षोभ है, प्रयाग में पत्थरबाज़ी हुई, लोग आश्चर्य में हैं। राँची को लेकर आश्चर्य नहीं होता। राजस्थान में एक के बाद एक कितनी घटना हुई, आश्चर्य नहीं होता, पंजाब में ख़ालिस्तान ज़िंदाबाद के नारे लगते हैं, किसी को कोई आश्चर्य नहीं होता। सहारनपुर समेत कई शहरों में पुलिस ने लाठी चलाई किसी को कोई आश्चर्य नहीं। लोग कहते हैं कि दिल्ली की पुलिस तो भाजपा के पास है, दिल्ली की वहीं आबादी केंद्र चुनाव में भाजपाके साथ खड़े होते हैं और वहीं लोग फिर केजरीवाल को मुख्यमंत्री बनाते हैं। इसका मतलब क्या है? आप को दोनों हाथ में लड्डू चाहिए। आप भाजपा के वोटर तो हैं पर फ़्री पर मन डोल जा रहा है, इसका अर्थ है की आपके प्राथमिकता में हिंदुत्व सुविधानुसार है।
यह समय संक्रमण का है, धीरे धीरे हम एक ऐसी स्थिति में जा रहे हैं जहां एक पीढ़ी के बाद हम बड़ा परिवर्तन देखने की स्थिति में हैं। सरकार एक तरफ़ प्रयासरत है की क़बीलाई का क़बीलाई होकर रहना कठिन करना और उसके लिए विजिबल लेवल पर पार्सियलटी करना। दूसरी तरफ़ समाज का दायित्व अपने स्तर का है। संगठन अंदर अंदर उसी कार्य में सहयोग दे रहा है ताकी सरकार भी बनी रहे और दबाव भी, साथ ही साथ घर वापसी का आमंत्रण।
यक़ीन मानिए हिंदू ही लाभ देखकर मुसलमान बने थे और उन्हें लगातार मुसलमान होने पर घाटा जाएगा तो वह हिंदू बनेंगे। बन भी रहे हैं। छ माह पहले तक एक दो लोग बदल रहे थे और अब यह संख्या सैंकड़ों में है। हज़ार में जाने पर स्पष्ट दिखाई देगी।
सारा मसला है की हम हिंदुत्व को प्रथम प्राथमिकता बनाने वाले लोगों की संख्या बढ़ाना। इस पर कार्य करिए। बाक़ी सबक सीखाने की भूख ने हमेशा मूर्ख हिंदुओं को ही सबक़ सीखाया है।
समदर्शी बनिए, हिंदू बनिए, लोगों को हिंदू बनाइए।

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