लगभग हज़ार वर्ष पूर्व म्लेच्छ आक्रांता महमूद गजनवी ने भारत पर हमला किया, सोमनाथ का मंदिर तोड़ा, पचास हज़ार श्रद्धालुवों की हत्या की, शिवलिंग खंडित किया और हिंदुवों को अपमानित करने के लिए शिवलिंग के टुकड़े मक्का मदीना की सीढ़ियों में लगाए गए.
सैय्यद सालार मसूद महमूद गजनवी का भांजा था. अपने मामा के आदेश के अनुसार उसने सोमनाथ से पूरे भारत इस्लाम फैलाने हेतु प्रस्थान किया. दिल्ली, मेरठ, कन्नौज, हरदोई जैसे राज्यों में हिंदू शासकों को हरा उनकी लड़कियों को दासी बनाया, शासकों और प्रजा की नृशंस हत्या की और तलवार के ज़ोर पर लाखों हिंदुवों को मुसलमान बनाया. लाखों काफिरों की हत्या के फल स्वरूप उसे गाजी कहा गया. गाजी सालार मसूद को अंततः बहराइच के युद्ध में महाराज सुहेल देव ने पराजित किया और युद्ध में गाजी ने मौत पाई. भारतीय परम्परा के अनुरूप विरोधी को भी सम्मान देते हुवे महाराज सुहेल देव ने गाजी को ससम्मान दफ़ना दिया.
और फ़िर वह हुआ जो हिंदू सदैव करते हैं. बहराइच में गाजी बाबा की मज़ार बन गई. हिंदुवों की हत्या कर गाजी बने सालर महमूद की मज़ार पर करोड़ों हिंदू चादर चढ़ाने जाने लगा. बहराइच में गाजी का उर्स होता है जिसने करोड़ों हिंदू मन्नत माँगने जाते हैं. महाराज सुहेल देव का तो खैर नाम ही भूल गए थे और गाजी के उर्स में करोड़ों हिंदू पहुँचता था माथा टेकने, चादर चढ़ाने गाजी बाबा.
बेवक़ूफ़ी, कायरपन, हीन भावना के शिकार, दब्बू पने के आपको ढेरों उदाहरण मिलेंगे लेकिन गाजी के उर्स में जाने वाले हिंदुवों से हीन आपको विश्व के इतिहास में ढूँढे न मिलेंगे. वह उस गाजी जिसने इनके पूर्वजों को मारा इनकी बहन बेटियों का बलात्कार किया, उनकी नीलामी की, उनके शरीर को नोंच खसोटा सोमनाथ मंदिर तोड़ा – कैसे लोग होते हैं जो उसी की मज़ार में जाकर सर झुकाते हैं. एक दो नहीं करोड़ों में.
अब थोड़ी थोड़ी आँख खुल रही है. अजमेर शरीफ़ दरगाह के ख़ादिमों का नाम कन्हैय्या मर्डर में आने से थोड़ी अक़्ल आनी आरम्भ हुई है, अजमेर के होटलों की नब्बे प्रतिशत बुकिंग कैंसिल हो रही है. लेकिन देखना है यह आँख कब तक खुली रहती है.