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हिन्दूद्रोही उपहास उड़ाते थे “कब बनेगा राममन्दिर?

Ranjana Singh

by रंजना सिंह
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जब हिन्दूद्रोही उपहास उड़ाते थे “कब बनेगा राममन्दिर?” और भाजपा समर्थक स्वयं को ठगा हुआ महसूस करते थे।इसी तरह निर्लज्जता से डाका डाले डकैत,देशद्रोही, राजनीतिक अपराधी हुँकार भरते हैं कि “हिम्मत है,,हम गलत हैं,तो पकड़ के दिखाओ”…और भाजपा समर्थक दाँत पीसते अपने ही नेतृत्व को कमजोर नक्कारा ठहराने, औकात दिखाने को प्रतिबद्ध हो जाते हैं।
अधिक नहीं, बस विगत दस पन्द्रह वर्षों के ही अदालती निर्णयों,क्रियाकलापों पर दृष्टि डालिये,,,क्या आपको नहीं लगता कि पूरी न्याय व्यवस्था को गिनेचुने 8-10 वकील मिलकर उँगलियों पर नचा रहे हैं? जबतक न्यायघर प्रमाणों के सम्मुख पूर्णतः विवश न हो जाये किसी भी बड़े अपराधी को सजा नहीं मिलती,, हिन्दू हित से जुड़ा कोई न्याय नहीं होता?
आखिर कोई भी मामला जाएगा तो आखिर न्यायघर ही न,,और वहाँ न्यायपति पहले से ही कलम सरियाये बैठे हैं कि किसी भी कौमी काँगी(काँग्रेस वाम और सभी सेकुलड़ी परिवावादी दल)को खरोंच नहीं आने देंगे।
कोलेजियम व्यवस्था का सत्य तो पता है न(एक स्थापित वकील,जज के पूरे खानदान में कोई काना लूला नहीं बचता जो वकील जज न बन जाता हो।देखा जाय तो सबसे बड़ी परिवारवादी व्यवस्था न्यायघर ही है),,आशा है काँगी राज में जज कैसे बनते थे,यह भी याद ही होगा?
तो फिर न्याय हो तो कैसे हो???
अभी टटका टटकी का एक उदाहरण देखिए।आदरणीय भाई Subhash Chandra जी की पोस्ट संलग्न कर रही हूँ जो स्थिति को बिल्कुल साफ कर देगी:-
कितना बचाया अदालतों ने तीस्ता सीतलवाड़ को मगर एक दिन बेपर्दा हो ही गई – जस्टिस आफ़ताब आलम ने खेल खेला अब उसकी बेटी और लुटियन गिरोह फंदे में आ सकते हैं —
सुप्रीम कोर्ट के जकिया जाफरी की याचिका खारिज होने पर मेरे 25 जून के लेख पर कुछ मित्रों ने आदत के मुताबिक मोदी और सरकार पर फिर तंज़ कसा था जो गैर जरूरी था –
ऐसे मित्र नहीं समझते कि कोर्ट के आदेशों के सामने हर कोई विवश हो जाता है – उन मित्रों ने सवाल खड़ा कर दिया कि संसद में इतनी ताकत होने के बाद भी तीस्ता को 8 साल से पकड़ा नहीं गया जबकि उन्हें नहीं पता कि हर बार कोर्ट ने उसे बचाया – आइये देखते हैं, कब क्या हुआ –
1. तीस्ता सीतलवाड़ का गिरोह मोदी के खिलाफ काम कर रहा था जिसमे लुटियन गिरोह और कोर्ट्स शामिल थे –सबसे बड़े नाम जस्टिस आफ़ताब
आलम, उसकी वकील बेटी अरूसा आलम, जस्टिस अभिलाषा कुमारी और कपिल सिबल जैसे वकीलों के थे;
2. तीस्ता और उसके पति जावेद की 25 मार्च, 2014 को गबन के केस में गुजरात की निचली अदालत ने अग्रिम जमानत की अर्जी खारिज कर दी;
3. दोनों पति पत्नी हाई कोर्ट चले गए और लेकिन हाई कोर्ट ने जब उनकी अपील खारिज कर दी और पुलिस गिरफ्तार करने पहुंची तो Feb,15 को सुप्रीम कोर्ट के CJI HL Dattu, Justice AK Sikri and Justice Arun Mishra की बेंच ने गिरफ्तारी पर 19 फरवरी तक रोक लगा दी;
4. ये रोक कपिल सिबल के दत्तू को फ़ोन करने पर ही लगा दी गई -एक आध को छोड़ कर सभी अख़बारों ने फ़ोन पर गिरफ़्तारी रोकने की खबर दबा दी, बेंच किसी और केस की सुनवाई कर रही थी, बस बीच में ही सिबल का फ़ोन आया और आर्डर दिया गया था;
5. फिर गुजरात पुलिस की दर्ज FIR पर बॉम्बे हाई कोर्ट गिरफ़्तारी पर रोक लगाता है 2 मई, 2018 तक के लिए जिसे सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस कुरियन
जोसफ, जस्टिस नवीन सिन्हा और जस्टिस एम् एम् शान्तनागोरदार की पीठ ने 31 मई तक बढ़ा दिया, ये अदालती तानाशाही ही तो थी जो बॉम्बे हाई कोर्ट ने रोक लगाईं और फिर सुप्रीम कोर्ट ने बढ़ाई; FIR की गुजरात पुलिस ने और आदेश देता है बॉम्बे हाई कोर्ट, है ना कमाल – उन्हें सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात हाई कोर्ट से गुहार लगाने को कहा –
6. तब गुजरात हाई कोर्ट के जज जे बी पारदीवाला (अब सुप्रीम कोर्ट के जज हैं) ने दोनों को 9/2/19 को अग्रिम जमानत दे दी –मगर ऐसा करते हुए ये भी कहा कि इन्होने फ्रॉड किया है और दोनों सहयोग नहीं कर रहे इन्वेस्टीगेशन में-फिर भी अग्रिम जमानत दे दी – जस्टिस आफताब आलम तो खुल
कर खेल रहे थे मोदी के खिलाफ, अब लपेटे में उनकी बेटी अरूसा आलम और लुटियन गिरोह के दिग्गज राजदीप सरदेसाई, बरखा दत्त, राणा अय्यूब आदि भी झूठ फ़ैलाने के लिए रगड़ा खा सकते हैं –
(सुभाष चन्द्र)
“मैं वंशज श्री राम का”

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