हिन्दू जब भी व्यथित होता है, मोदी को ही कोसता है. जब बंगाल में स्त्रियों का शील हरण होता है, जब काश्मीर से हिंदू का पलायन होता है, जब उदयपुर में किसी कन्हैया की हत्या होती है…
गालियां हमेशा मोदी को ही पड़ती हैं. बंगाल की ममता बच जाती है, राजस्थान में गहलोत को कोई कुछ नहीं कहता… उससे भी बड़ी बात, इस हिंसा और अत्याचार के लिए जिम्मेदार जिहादी और उन्हें यह सिखाने वाली विचारधारा भी निशाने पर नहीं आती. निशाने पर आता है अकेला मोदी.
यह एक स्टेटमेंट ऑफ़ फैक्ट है. मैं यह नहीं कह रहा कि मोदी को निशाने पर आना चाहिए या नहीं आना चाहिए. इसलिए उधर मत भटकिए.
जिहादी जानते हैं…
उनकी हर हरकत हिंदुओं का मनोबल तोड़ रही है. हिंदुओं ने जिस विश्वास से मोदी को चुना है वह हिल रहा है. उसे पता है कि वह मोदी को नहीं हटा सकता. पर उसे पता है कि अगर उसने उस विश्वास को तोड़ दिया जो मोदी ने अर्जित किया था तो हिंदू खुद ही मोदी को हटा देंगे. हटाकर अच्छा करेंगे या अपना नुकसान करेंगे इसका उत्तर भविष्य के गर्भ में छुपा है. पर मोदी उनका शत्रु है और अपने शत्रु को उसकी ही सेना के विरुद्ध खड़ा करके उसकी हार सुनिश्चित करने में उनकी रुचि है.
अगले कुछ दिनों में यह घटनाएं और होंगी. और हिंदुओं का आक्रोश जितना अधिक मोदी के विरुद्ध केंद्रित होगा वे अपने लक्ष्य में उतने ही अधिक सफल होंगे. पुनः एक बार कह रहा हूं, यह आक्रोश उचित है या अनुचित, यह इस पोस्ट का विषय नहीं है, पर हमारा यह नपुंसक आक्रोश भी हमारे शत्रु की ही शक्ति बन रहा है.