हिन्दू धर्म में ‘कुछ लोग’ और हिन्दू धर्म से अलग ‘बहुत से लोग’ शिव लिंग के ‘नाम’ पर मजाक कर रहे हैं। उन्हें शायद संस्कृत का ज्ञान नहीं है, कोई बात नहीं ! सबको सब कुछ ज्ञात हो भी नहीं सकता लेकिन एक जिम्मेदार हिन्दू होने के नाते मैं आपको शिव लिंग का अर्थ समझा सकता हूँ।
पुल्लिंग और स्त्रीलिंग की ही तरह शिवलिंग का भी अर्थ ‘प्रतीक’ ही होता है, बस वो प्रतीक शिव का है।
सनातन की उर्वरा भूमि रहे भारत के दक्षिण भाग में रहने वाले बहुतायत नामों में आप इसी संस्कृत शब्द ‘लिंग’ की आवृत्ति देख सकते हैं जैसे कि लिंगास्वामी, रामलिंगम, नागलिंगम।
शिवलिंग का आकार ‘दिए की ज्योति’ जैसा होता है। हठयोगियों ने शिवलिंग को अंतज्योर्ति का प्रतीक माना था। शिवलिंग में आत्मा का पूरा आकार छुपा हुआ है। ध्यान में जाते ही आपकी ऊर्जा भी इसी शेप में आ जाती है। रूस में किरलियान फोटोग्राफी से भी जो ऊर्जा का आकार निकल कर आता है वो शिवलिंग की ही तरह होता है।
शिवलिंग ध्यान की आखिरी गहरी अवस्था का प्रतीक है, वो अवस्था जिसमें शिव हमेशा रहते हैं, इसलिए खुद भी जानिए और दूसरों को भी बताइये।
ना जानने से ज्यादा बुरा है, जानने की कोशिश ना करना