हिन्दू समाज को बांटने के लिए वे जिस तरह सक्रिय नजर आते हैं, वह सब पढ़ कर मुझे कई बार लगता है कि महाराष्ट्र का उनका मित्र सुनील सरदार, जो कन्वर्जन एक्सपर्ट है, उनके मामले में सफल तो नहीं हो गया।
जी हां मैं प्रोफेसर दिलीप मंडल की ही बात कर रहा हूं। प्रो दिलीप मंडल सालों से इसी सोशल मीडिया के प्लेटफॉर्म पर जाति विमर्श कर रहे हैं। क्या कभी उन्होंने अपनी जाति बताई है? यदि बताई है तो जरूर यहां साझा कीजिए, कौन जात हैं प्रो दिलीप साहेब?
प्रो दिलीप ना दलित हैं और ना आदिवासी। क्या वे आधुनिक ब्राम्हणवादी—फासिस्ट हैं, जो दलित और आदिवासियों से उनका नेतृत्व छीनने की कोशिश में जुटा है। आदिवासियों और दलितों को अपना नेता अपने बीच से चुनने दीजिए। यदि आप और हम कुछ कर सकते हैंं तो हमें उनका फॉलोअर बनना चाहिए। उनके पीछे खड़ा रहना चाहिए लेकिन दिलीप मंडल का जातिय दम्भ उन्हें यह सब करने देगा? क्या स्वीकार पाएगा कि उनका नेता एक दलित युवक हो या फिर उनका नेता एक आदिवासी युवक हो?
बहरहाल, बताइए ना कि जाति की बात 24 घंटे करने वाले व्यक्ति ने अब तक क्यों नहीं बताया कि वह ना आदिवासी है और ना ही दलित। फिर कौन जात हैं दिलीप मंडल?