Home मधुलिका यादव शची बिरसा मुंडा जी की मूर्ति का जनेऊ

बिरसा मुंडा जी की मूर्ति का जनेऊ

Madhulika Shachi

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 हिंदुत्व फिल्म के पोस्टर को दिखाकर किसी महिला ने पूछा   कि इसमें हीरो जो धागा (जनेऊ की तरफ इशारा था ) पहना है उसे हर हिन्दू जाति के लोग पहन सकते हैं …..?
महोदया ने उसमें स्त्री भी जोड़ दिया…
खैर स्त्री वाली बात नजरअंदाज करके बात किया जाय
भगवान बिरसा मुंडा जी की मूर्ति में जो जनेऊ था वह कहाँ गया ..?
क्यों अब के फ़ोटो में वह जनेऊ क्रांति का सूत्रधार व्यक्ति बिना जनेऊ के दिख रहा।
कुछ ने देखा नहीं, जाना नहीं इसलिए उन्हें वर्तमान का ही सत्य अब का सत्य लगता है।
बिरसा मुंडा जी के जनेऊ क्रांति की फिर आवश्यकता है। आवश्यक है कि हर हिन्दू को इसे धारण करने योग्य बनाया जाय, नियम पालन के योग्य बनाया जाय… हर एक आइडेंटिटी से जोड़ा जाए उसके प्रति आस्थावान बनाया जाय ।
जनेऊ भी कई प्रकार की होती है , जो जिस धर्म का पालन कर सकने की क्षमता रखता हो,जो जितना प्रण ले सके उसे उसी प्रकार के जनेऊ पहनाओ ।
लोगों का कहना होता है कि यदि जो जनेऊ न पहनें, या प्रतीकात्मक चीजों को धारण न करे वह हिन्दू नहीं माना जायेगा..?
इसका उत्तर है सारे प्रतीकात्मक आस्था चिन्ह , मन्दिर , जनेऊ हमें बांधकर रखते हैं और सतर्क करते हैं आने वाले किसी भी खतरे से।
सोचो मन्दिर आस्था का प्रतीक ही है न पर उसपर प्रहार हुआ था बाद में वही आपके जागरण का कारण बना या नहीं ..!!!!
प्रतीकों पर हमले आपको जाग्रत करते हैं।
यदि आप प्रतीकों में पाखंड खोजते हैं तो आप गर्त में जा रहे हैं
यदि मैं हिन्दू हूँ और मेरी आस्था मूर्ति और मंदिरों में नहीं है तो कल कोई आतताई मन्दिर तोड़ भी देगा तो हमें कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा।
और फिर वही आततायी आपपर भी हमला करेगा भले ही आप प्रतीकों को महत्व नहीं देते क्योंकि वह आपको अपने प्रतीकों में ढालना चाहेगा।
प्रतीकों से कटना समुदाय के आत्महत्या का मार्ग खोलना है।
प्रतीकों पर समुदाय से पहले हमला होता है जिससे समुदाय समझ सकता है कि अब हमारे अहित की साजिश हो रही है।

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