Home मधुलिका यादव शची दलित पिछड़ी जातियों में अभिवादन का तरीका

दलित पिछड़ी जातियों में अभिवादन का तरीका

मधुलिका शची

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स्मरण कीजिये कि दलित , पिछड़ी जातियों का जो अभिवादन का तरीका था,
वह क्या था ..?
” जय राम भैया “
” राम ..राम भैया “
सवर्ण वर्ग में यह दलितों पिछड़ों की अपेक्षा नहीं था बल्कि उनमें अभिवादन का तरीका ” प्रणाम ” था…
पर अब जबसे हिंदुत्व की बात चलने लगी है खासकर 2014 से तब से सवर्ण वर्ग .. अभिवादन में “जय राम ” तो नहीं बोलता
पर fb पर रिप्लाई में ” जय श्री राम ” लिखने लगा है ।
धरातल पर प्रणाम ही है।
अब दलितों में भी दो भाग हो गए हैं एक है नवबौद्ध दूसरा है सनातनी हिन्दू
नवबौद्ध अभिवादन में नमो बुद्धाय कहता है क्योंकि इनमें से अधिकतर वही थे जो कभी “जय राम” कहते थे इसलिए आदत पड़ी है बस राम की जगह बुद्ध आ गए।
दूसरा जो सनातनी हिन्दू है ; उसमें से आधे ने सवर्णों की नकल कर ली है और वो “जय राम” की जगह “प्रणाम” कहना शुरू कर दिया है पर कुछ अभी भी हैं जो “जय राम” ही कहते हैं।
बामसेफ जैसी संस्थाओं ने दलितों से पूछा कि तुम लोग
“जय राम” क्यों कहते हो जब सवर्ण वर्ग खुद नहीं कहता, तुम इस बात को क्यों नहीं समझते कि जिस राम का बार बार नाम लेते हो जिस राम के नाम को अपने नाम के आगे लगाते हो उसे सवर्ण वर्ग ने “शूद्रों के अभिवादन का तरीका ” घोषित कर रखा है। कभी किसी सवर्ण को “जयराम” कहकर प्रणाम करते हुए सुने हो …?
मैं यहां देखती हूँ अक्सर जितने भी यहां सवर्ण मानसिकता के लोग हैं वो कभी धरातलीय सत्य की ओर ध्यान नहीं देते इनकी पोस्ट हद से अधिक काल्पनिक संसार में विचरण कर रही होती है जिसका समाज से कोई लेना देना नहीं होता।
ये जब धार्मिक सामाजिक पोस्ट भी लिखते हैं तो वह धरातल पर कहीं भी टिकती नहीं, थोड़ी देर विचार करके पढ़ो तो सोचना पड़ता है कि ये जो बात इन्होंने लिखी है वह किस ग्रह की घटना है… ?
हिन्दू धर्म को तोड़ने वाली शक्तियाँ वही कह रही हैं जो धरातल पर चल रहा है उसकी बात करती हैं और यही कारण है कि उनमें अधिक कुशल कार्य क्षमता न होने के बाद भी उन्हें स्वीकार्यता मिल रही है और वो अपना दल धीरे धीरे बढ़ा रहें हैं।
छोटे छोटे गांव स्तर पर आयोजन कर रहें हैं और कंपेरिजन करके समझा रहें हैं , वही बात अपने भाषणों में कह रहे हैं जो धरातल पर है।
समय अब भी है ” कल्पना छोड़ यथार्थ की ओर खुद को मोड़कर समाज को जोड़ने का प्रयत्न किया जाय , अन्यथा अभी तो आपको पता नहीं है पर पैरों के नीचे की जमीन लगातार दरक रही है।
इससे पहले रसातल में चले जाओ, कुछ करो जो सबको जोड़े रखे। हवाई फायर और कल्पना के संसार से बाहर निकलो।

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