Home लेखक और लेखअवनीश पी ऍन शर्मा गाँधी इतने बड़े न होते अगर गोडसे ने उन्हें मारा न होता।

गाँधी इतने बड़े न होते अगर गोडसे ने उन्हें मारा न होता।

Awanish P. N Shrma

by Awanish P. N. Sharma
950 views

बापू की हत्या कर उन्हें अमर और महान बना देने वाले नाथू ने अपने कानूनी अपराध के बाद आत्मसमर्पण किया और आजाद भारत की पहली फाँसी भुगत कर अपनी गति चढ़ा।

लेकिन सामाजिक असामनता के खिलाफ दलितों के साथ छूआछूत के मुखर विरोध की अलख जगाने वाले स्वामी श्रद्धानंद जो निमोनिया से निपट ही जाते उनके हत्यारे अब्दुल राशिद जो इस क्रूरता के केवल दो साल बाद बाइज्जत बरी हो गया… को मेरा भाई कहने वाले गांधी और उनकी कथित गाँधी परंपरा के ‘मेरा भाई’ नारे का दंश पीढ़ियाँ भुगतने को अभिशप्त हैं।

हिन्दू धर्म में सामाजिक भेदभाव के प्रखर विरोध विरोधी और उसके निमित्त अपना जीवन बलिदान कर देने वाले महान हिन्दू व्यक्तित्व स्वामी श्रद्धानंद की हत्या साल 1926 में हुई। ईश्वर अल्ला तेरो नाम के अतिक्रमण और श्रद्धानंद के हरिजन भाव का अपहरण करने वाले महात्मा की दुःखद हत्या 1948 में।

कौन कहने का साहस जन्मायेगा कि गाँधी राजनीति नहीं करते थे!

कांग्रेस मुक्त भारत को गाँधी के अधूरे सपने के तौर पर देखना चाहिए जब बापू ने कहा था कि आंदोलन की भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का काम पूरा हो गया अब इसे भंग कर देना चाहिए। आज हम सभी महान बापू के बेटों को देश के वर्तमान राजनैतिक नेतृत्व की अगुवाई में बापू के अधूरे सपने को पूरा करने में लगा रहना चाहिए जो महात्मा के सपने को पूरा करने को दृढ़संकल्पित हैं और पूरा करने के नजदीक हैं।

शास्त्री जी के साथ बापू को जन्मदिन पर याद करते हुए यही मिलता है और साल दर साल प्रणाम रहता है। बापू ने आजादी की लड़ाई के लिए अंग्रेज नौकरशाह एलेन ओक्टेवियन ह्यूम द्वारा स्थापित भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस नाम के आंदोलन से समस्त भारत और हर विचारधाराओं को एकसूत्र में पिरो कर एकजुट कर दिया इसके लिए उन्हें बार बार प्रणाम रहता है, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस नाम के आंदोलन पर अवैध गाँधीओं द्वारा कब्जा कर उसका दुरुपयोग कर पाप की राजनीति करने वाली आजादी के बाद की कांग्रेस एक राजनीतिक पार्टी के संपूर्ण विनाश की कामना रहती है।

Related Articles

Leave a Comment