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कलियुग के महात्मा

Isht Deo Sankrityaayan

by Isht Deo Sankrityaayan
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कथा महाभारतकाल की है। पाण्डवों ने श्रीकृष्ण से कलियुग के बारे में पूछा। जानना चाहा कि कलियुग में क्या होगा, मनुष्य का व्यवहार कैसा होगा और उसे मोक्ष कैसे प्राप्त होगा। भगवान श्रीकृष्ण ने कहा – “तुम पांचों भाई वन में जाओ। सभी लोग अलग अलग दिशाओं में जाना और जो कुछ भी विशिष्ट दिखे, यानी सामान्य अलग या कुछ अजूबा वह आकर मुझे बताओ। फिर मैं तुम्हें बताऊंगा कलियुग के बारे में।”
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पांचों भाई वन में गए।
युधिष्ठिर ने एक हाथी देखा। उस हाथी के दो सूंड थे। यह देखकर उनके आश्चर्य का पार न रहा।
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अर्जुन दूसरी दिशा में गए। वहां उन्होंने देखा एक पक्षी देखा। उस विशालकाय पक्षी के पंखों पर वेद की ऋचाएं लिखी हुई थीं, पर वह खा रहा था मुर्दे का मांस।
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भीम ने तीसरा आश्चर्य देखा। एक गाय ने बछड़े को जन्म दिया और वह बछड़े को चाटने लगी। यह तो होता ही है। सामान्य बात है। लेकिन अजूबा यह कि वह बछड़े को इतना चाट रही थी कि बछड़ा उसके चाटने से ही लहूलुहान हो गया।
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चौथा आश्चर्य सहदेव ने देखा। जंगल में एक जगह सात कुएं थे। इनमें आसपास के सभी कुओं में पानी था, किंतु बीच वाले को छोड़कर। बीच का कुआं पूरी तरह खाली। बीच का कुआं गहरा था, फिर भी पानी नहीं था।
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नकुल ने एक और आश्चर्य देखा। एक पहाड़ के ऊपर से एक बड़ी शिला लुढ़कती-लुढ़कती आ रही थी। वह कई बड़े वृक्षों से टकराई पर उन वृक्षों के तने उसे रोक न सके। कितनी ही अन्य शिलाओं के साथ टकराई पर वह रुक न सकीं। अंत में एक अत्यंत छोटे पौधे का स्पर्श होते ही वह स्थिर हो गई।
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पांचों भाइयों के आश्चर्य की कोई सीमा न थी। शाम को श्रीकृष्ण के पास पहुँचकर सबने अपने अलग-अलग दृश्यों का वर्णन किया।
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युधिष्ठिर ने दो सूंड वाले हाथी के बारे में बताया।
श्रीकृष्ण ने कहा- “कलियुग में ऐसे लोगों का राज्य होगा जो दोनों ओर से शोषण करेंगे। बोलेंगे कुछ और करेंगे कुछ। ऐसे लोगों का राज्य होगा। इससे तुम पहले राज्य कर लो।”
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अर्जुन ने पक्षी के बारे में बताया।
श्रीकृष्ण ने कहा, “कलियुग में ऐसे लोग रहेंगे जो बड़े-बड़े पंडित और विद्वान कहलाएंगे किंतु वे यही देखते रहेंगे कि कौन-सा मनुष्य मरे और हमारे नाम से संपत्ति कर जाए। “संस्था” के व्यक्ति विचारेंगे कि कौन सा मनुष्य मरे और संस्था हमारे नाम से हो जाए। हर जाति-धर्म के प्रमुख पद पर बैठे विचार करेंगे कि कब किसका श्राद्ध है। चाहे कितने भी बड़े लोग होंगे किंतु उनकी दृष्टि तो धन के ऊपर (मांस के ऊपर) ही रहेगी। ऐसे लोगों की बहुतायत होगी जो दूसरों का धन छीनने को आतुर होंगे। अधिकतर ऐसे ही लोग संत और महात्मा कहे जाएंगे। इनमें संत तो कोई विरला ही होगा।”
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भीम ने गाय और बछड़े की बात बताई।
श्रीकृष्ण ने कहा, “कलियुग में सभी शिशुपाल हो जाएंगे। वे अपने बच्चों पर इतनी ममता करेंगे कि उन्हें अपने विकास का अवसर ही नहीं मिलेगा। किसी का बेटा घर छोड़कर साधु बनेगा तो हजारों व्यक्ति दर्शन करेंगे। किंतु यदि अपना बेटा साधु बनता होगा तो रोएगे कि मेरे बेटे का क्या होगा? उसे मोहमाया और परिवार में ही बांधकर रखेंगे और उसका जीवन वहीं खत्म हो जाएगा। अंत में बिचारा अनाथ होकर मरेगा। वास्तव में लड़के तुम्हारे नहीं हैं, वे तो बहुओं की अमानत हैं, लड़कियां जमाइयों की अमानत हैं और तुम्हारा यह शरीर मृत्यु की अमानत है। तुम्हारी आत्मा-परमात्मा की अमानत है।”
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सहदेव ने कुओं वाली बात बताई।
श्रीकृष्ण ने बताया, “कलियुग में धनाढ्य लोग लड़के-लड़की के विवाह में, मकान के उत्सव में, छोटे-बड़े निरर्थक उत्सवों में तो लाखों रूपए खर्च कर देंगे। परंतु पड़ोस में ही यदि कोई भूखा प्यासा होगा तो यह नहीं देखेंगे कि उसका पेट भरा है या नहीं। दूसरी और मौज-मौज में, शराब, कबाब, फैशन और व्यसन में पैसे उड़ाएंगे। किंतु किसी के दो आंसू पोंछने में उनकी रुचि न होगी और जिनकी रुचि होगी उन पर कलियुग का प्रभाव नहीं होगा, उन पर भगवान का प्रभाव होगा।”
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नकुल ने चट्टान वाली घटना सुनाई।
श्रीकृष्ण ने बताया, “कलियुग में मानव का मन नीचे गिरेगा। उसका जीवन पतित होगा। यह पतित जीवन धन की शिलाओं से नहीं रुकेगा और न ही सत्ता के वृक्षों से रुकेगा। किंतु हरिनाम के एक छोटे से पौधे से, हरिकीर्तन के एक छोटे से पौधे से मनुष्य जीवन का पतन होना रुक जाएगा।

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