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भारत में खाद्यान्न समस्या अब नहीं

Nitin Tripathi

by Nitin Tripathi
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हमसे दो पीढ़ी पूर्व तक भारत में खाद्यान्न समस्या एक बहुत बड़ी समस्या थी. सत्तर अस्सी के दसक तक दो वक्त भर पेट भोजन कर पाना ही अपने में एक लक्शरी थी. मेरे एक बचपन के मित्र थे, बड़ा परिवार था, पिता जी चतुर्थ श्रेणी में ही सही सरकारी नौकरी में थे. कुपोषण का शिकार थे, डॉक्टर ने बोला था यदि रोज़ एक ग्लास दूध न मिला तो बचना मुश्किल है. तो भी घर वाले तीन महीने लगातार दूध न पिला पाए थे.
उस युग में भोजन में पोषक तत्व की बातें करना तो खैर फ़िज़ूल ही था. यहाँ तक कि जो थोड़े से वेल to डू होते थे वह पूरी कचौड़ी अक्सर खाने की सामर्थ्य रखते थे. रोज़ मिठाई भी खा पाते थे. बस इतनी ही economic सामर्थ्य होती थी अधिसंख्य बड़ों की भी. तो ऐसे में जो खाते पीते लोग होते थे उनका तोंद निकल आता था. वहीं से निकला हुआ तोंद खाते पीते घरों की निशानी माना जाने लगा. प्रायः समाज के प्रतिष्ठित तबके पंडित जी और लाला जी का पेट निकला हुआ होता था. choice से नहीं मजबूरी से.
समय के साथ भारत के भी एक हिस्से में प्रगति हुई. पैसे आए समझ आया भोजन का अर्थ केवल पेट भर भोजन कर डकार मारना नहीं बल्कि हेल्थी पौष्टिक भोजन करना है. निकला हुआ पेट बीमारी की निशानी होता है. शेष विश्व और मॉडर्न भारत में भी निकला हुआ पेट poor अप ब्रिंगिंग मानी जाती है. ठीक ठाक लोग जिम जाने लगे कोशिश करने लगे फ़िट रहने की.
लेकिन एक बड़ा वर्ग अभी भी उसी ओल्ड सिंड्रोम में रहता है जहां निकला हुआ तोंद ही खाते पीते घर का माना जाता है. कोई फ़िट पर्सन दिख भर जाए देखिए कैसे कैसे कॉमेंट होते हैं.
वैसे यह विकृति भोजन में ही नहीं कपड़ों में भी है. जमाने थे जब शर्ट पैंट पहन लोग जेंटेल मैन होते थे. फ़ुल शर्ट पैंट का कपड़ा ख़रीद पाना अमीरी थी. गरीब उनके फेंके हुवे कपड़े पहनते थे, फ़िर उन्हें काट छाँट आधे पहनते थे. धोती कुर्ता गंवार लोग पहनते थे, धारणा थी. एक बड़ा भारत अभी भी इसी धारणा में जीता है. आप टी शर्ट शॉर्ट्स लोफ़र पहन चले जाइए, माल के बाहर खड़ा गार्ड आपको ऐसे देखेगा जैसे आप BPL योजना से एक मीटर कपड़ा पहन आए हैं. स्टोर पर सेल्स मैनेजर आपके हाव भाव, आपकी ग्रूमिंग देख अंदाज़ा लगाएगा आपके बारे में. पर बाहर खड़ा सिक्यरिटी गार्ड आपने शर्ट पैंट पहना हो भले ही बाल तितर बितर हों बड़े नाखून हों बदबू आ रही हो पर आपको जेंटेल मैन मानेगा.
ऐसा नाम में भी है. नताशा वेस्टर्न नाम है. कोई लड़की फ़ोन पर अपना नाम यह बताए हम दिमाग़ में उसे बहुत राईस इंग्लैंड की मेम साहब मान लेते हैं.वहीं कोई बोले हम मालती बोल रहे हैं हममे अधिसंख्य दिमाग़ में उसे केटल क्लास मान लेंगे बस नाम सुन कर. भले ही मालती प्रियंका चोपड़ा की बेटी है और नताशा एक काल गर्ल, पर नाम सुन कर लम्बे समय कालोनियल mindset की वजह से हम ऐसी इमेज बना लेते हैं.

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