4 अक्टूबर 2022 को Chip War पुस्तक रिलीज़ हुई और उसी दिन यह पुस्तक मेरे पास थी।
अमेरिका की टफ्ट्स यूनिवर्सिटी में अंतरराष्ट्रीय इतिहास के प्रोफेसर क्रिस मिलर ने पुस्तक में एक्सप्लेन किया कि उद्यम एवं फैक्ट्री कैसे ताइवान सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कंपनी सहित कुछ अन्य कंपनियों द्वारा चिप्स की आपूर्ति पर पूर्णतया निर्भर हो गए, जो चीन के भू-राजनीतिक अस्थिर क्षेत्र में स्थित है। अब कंप्यूटर चिप्स की नींव पर सैन्य, आर्थिक और भू-राजनीतिक शक्ति का निर्माण किया जाता है। वस्तुतः सब कुछ – मिसाइल से लेकर माइक्रोवेव, स्मार्टफोन से लेकर शेयर बाजार तक – चिप्स पर चलता है।
चूंकि लेखक एक इतिहासकार है, पुस्तक की भाषा सरल है, पठनीय है। मिलर ने इसे एक थ्रिलर के रूप में लिखा है जिसके कारण Chip War अत्यधिक रुचिकर बन जाती है। जटिल तकनीकी के विकास को उत्कृष्ट रूप में प्रस्तुत किया गया है।
अभी पढ़ा कि फाइनेंसियल टाइम्स ने चिप वॉर को Business Book of the Year घोषित किया है। समाचारपत्र ने लिखा कि सेमीकंडक्टर्स के लिए लड़ाई और सप्लाई चेन को शक्तिशाली एवं डाईवर्सीफाई करने की समस्या हमारे समय की सबसे बड़ी आर्थिक और व्यावसायिक कहानियों में से एक है और निकट भविष्य में भी यही रहेगी।
एक छोटा सा उदहारण देना चाहूंगा। मिलर बतलाते है कि नवंबर 1962 में जापान के प्रधानमंत्री हयातो इकेदा फ्रांस के राष्ट्रपति शार्ल दे गॉल से मिलने गए। जब वे राष्ट्रपति से मिले तो इकेदा ने गॉल को एक सोनी ट्रांजिस्टर रेडियो उपहार में दिया। नयी चिप एवं सूक्ष्म ट्रांजिस्टर युक्त ऐसा पहला रेडियो सोनी ने विश्व में बनाया था। मीटिंग के बाद गॉल ने अपने सलाहकारों से चिड़चिड़ाने वाली भाषा में कहा कि इकेदा एक ट्रांजिस्टर सेल्समैन की तरह व्यवहार कर रहे थे।
सोनी की विशेषता यह थी कि उसने चिप की डिजाईन नहीं बनाई थी, बल्कि यह समझ विकसित की कि कैसे चिप के प्रयोग से नए उपभोक्ता उत्पाद बनाये जा सकते है।
अमेरिका की टेक्सास इंस्ट्रूमेंट्स, जो उस समय सेमीकंडक्टर एवं ट्रांसिस्टर्स के क्षेत्र में अग्रणी कंपनी थी, के चेयरमैन पैट हैगर्टी ने कैलकुलेटर बनाने को कहा था, लेकिन उनकी कंपनी के मार्केटिंग विभाग ने कहा कि सस्ते, छोटे कैलकुलेटर के लिए बाजार नहीं है।
कुछ ही समय में जापान ने ट्रांजिस्टर रेडियो, कैलकुलेटर एवं वॉकमैन जैसे उत्पादों से पूरे विश्व में आधिपत्य स्थापित कर लिया और फ्रांस को आर्थिक प्रगति में बहुत पीछे छोड़ दिया। साथ ही पूरे विश्व के कंज्यूमर मार्केट पर पकड़ बना ली थी। इस आधिपत्य में जापानी प्रधानमंत्रियों द्वारा अपने राष्ट्र के सेल्समैन की भूमिका ने प्रमुख योगदान दिया।

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