Home विषयजाति धर्म अयोध्या काण्ड में जब प्रभु वनवास के लिए निकल रहे हैं तो माँ कौशल्या…

अयोध्या काण्ड में जब प्रभु वनवास के लिए निकल रहे हैं तो माँ कौशल्या…

Rudra Pratap Dubey

by Rudra Pratap Dubey
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सिय बन बसिहि तात केहि भाँती
चित्रलिखित कपि देखि डेराती।
अयोध्या काण्ड में जब प्रभु वनवास के लिए निकल रहे हैं तो माँ कौशल्या प्रभु को सीता के विषय में समझा रही हैं कि जो सीता चित्र तक में कपि को देखकर डर जाती हैं, वे वन में किस तरह रह सकेंगी !
माँ सीता का ये डर सुन्दरकाण्ड में भी दिखा जब हनुमान जी पहली बार माँ से मिलते हैं तो वो अपना चेहरा तुरंत ही दूसरी तरफ कर लेती हैं।
लेकिन अंत में जब प्रभु माँ सीता के साथ अयोध्या वापस लौटते हैं तो उनके साथ हनुमान जी स्वयं थे।
अशोक वाटिका में पराजित महसूस कर रही माँ सीता हनुमान जी से संवाद के बाद पुनः शक्ति के साथ खड़ी हो गई क्यूँकि उन्होंने अपने कपि के डर पर काबू पा लिया था। वास्तविकता यही है कि जीवन में सब हमारी मान्यताओं के अनुसार नहीं होता। हम सबके जीवन में भविष्य को लेकर एक अनिश्चय, शंका और भय रहता है और हम सब माँ के समान ही उससे भयभीत रहते हैं लेकिन जिस दिन हमने उसका सामना करने का रास्ता खोल दिया उसी दिन हमको पता चल जायेगा ये डर नहीं, ये तो डर पर विजय करने की राह है।
जीवन ‘रामायण’ तभी बनेगा जब डर पर विजय प्राप्त होगी।

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