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मिर्च का पौधा

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पथिक को रास्ते में मिर्च का पौधा मिला, उसने मिर्च तोड़ा, उसे चखा फिर यह कहकर फेंक दिया …उफ्फ इतना तीखा…!
यह तो मनुष्य के योग्य नहीं है।
आगे बढ़ा उसे प्याज दिखा ,उसे भी चखा ..अच्छा नहीं लगा फेंक दिया।
फिर धनिया, मेथी, जीरा, लहसुन, हल्दी मिला सबको पथिक ने चखा और पसंद न आने पर फेंक दिया, थोड़ी दूर आगे जाने के बाद उसे परवल की हरी सब्जी दिखी,
वह भी अच्छा नहीं लगा तो फेंक दिया..
पथिक थक गया, उसे भूँख लगी थी तभी उसे आलू दिखा, उसने उसे भी चखा पर स्वाद अच्छा नहीं था फेंकने ही जा रहा था तभी उसे लगा भूंख तो चरम पर है यदि इसे भी फेंक दिया तो भूख से मर जाऊंगा..!
अब उसने समझौता किया परिस्थिति के साथ..
थोड़ी देर के लिए बैठ कर चिंतन करने लगा तभी एकायक उसके विचार में आया क्यों न भून कर आलू खाया जाए..!
उसने आलू को भूना फिर खाया उसे बड़ा ही आनंद मिला, आलू का तो स्वाद ही बदल गया था।
तभी उस पथिक के बगल ही एक और पथिक आया और उसने वहां पर आग जलाया फिर उसपर कड़ाही रखी । जो जो वस्तुएं पहले वाले पथिक को मिली थी रास्ते मे वही दूसरे को भी मिली पर दूसरा वाला रास्ते में मिली इन चीजों को इकठ्ठा करता गया जबकि पहला वाला उच्च्श्रृंखलता दिखाते हुए फेंकता चला गया। बिल्कुल सोशल मीडिया के अति उत्साही पाठकों की तरह रास्ते में मिली हर वस्तु को खराब बेस्वाद का सर्टिफिकेट देता चला गया।
दूसरे पथिक ने रास्ते मे मिली उन वस्तुओं का चिंतन किया फिर निष्कर्ष पर पहुंचा कि इन सबको मिलाकर एक स्वादिष्ट सब्जी बन सकती है ।
सब्जी बनी आनंद से व्यक्ति ने पूरा भोजन किया ।
शांत संतुष्ट चित्त से फिर अपने गंतव्य की ओर चल पड़ा।
चिंतन किया तो आलू भुनने का विचार आया ,आलू के अतिरिक्त तो उसने सब कुछ फेंक दिया था अन्यथा चिंतन के दम पर वह भी अच्छी सब्जी बना सकता था पर प्रथम पथिक की भूलों ने उसे आलू भूनने तक ही सीमित कर दिया।
दूसरे पथिक ने विचारों की समग्रता का महत्व समझा ,कुछ भी नहीं फेंका इसलिए उसके चिंतन ने उसे सब्जी बनाने का आईडिया प्रदान किया।
विचारों को समग्रता से देखने वाले ही परिपक्व की श्रेणी में आते हैं और उन्हीं को लौकिक भौतिक सभी प्रकार के सुखों का कैसे उपभोग किया जाय
उसका सही तरीका क्या है यह पता चल पाता है।
अन्यथा भटकते रहो.. या भूतकाल के पश्चाताप में डूबे रहो कि ईश्वर ने अवसर आपको भी दिया पर आप उसका महत्व नहीं समझ पाए।
चिंतन को महत्व दीजिये विचारों की समग्रता स्वयं आ जाएगी, थोड़ा ठहरिए विचारिये तब चलिए..
इतनी जल्दी में क्यों हैं..!!!!

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