Home विषयकहानिया चाणक्य का जन्म

चाणक्य(विष्णुगुप्त) का जब जन्म हुआ तो उनके घर जैन साधु आये उन्होंने चणक ऋषि से कहा :
इस बालक में तो सम्राट बनने के लक्षण दिख रहे हैं
तब विष्णुगुप्त के पिता चणक चौंक उठे : और बोले …हे आचार्य मैं तो चाहता था कि ये बालक बड़ा होकर जैन आचार्य बने….
कमाल की बात है न कि वैदिक मत का ब्राह्मण कह रहा है कि उसका बेटा जैन आचार्य बने..!
शायद ऋषि चनक जो नंदों की कर व्यवस्था का सबसे पहले प्रतिरोध किये थे वो जान गए थे कि भविष्य में हिन्दू धर्म क्या होगा…
वो समझ गए थे कि समग्रता क्या है..!
मेरे दादा जी कहते थे ईश्वर ने सिर्फ भारत भूमि को ही वरदान क्यों दिया कि यहां समस्त मतों का जन्म हो,
विचारों का इतना बड़ा सागर मंथन किसी भी देश की धरती पर नहीं हुआ है जितना भारत में हुआ है और अब हमारी जिम्मेदारी है कि जो अमृत रूपी धरोहर हमें प्राप्त हुए हैं हम उनको संजोए रखें ताकि हम अपनी आने वाली पीढ़ी को समग्रता का दर्शन भेंट कर सकें।
हम केवल न शाक्त हैं
न केवल वैष्णव हैं
न केवल शैव हैं
न केवल जैन हैं
न केवल बौद्ध हैं
हम समग्र दर्शन को धारण करने वाले हिंदू हैं जिनकी शाखाएं शाक्त, वैष्णव, शैव, जैन , बौद्ध, सिख आदि भारतीय दर्शन हैं।
हम किसी राजनीतिक एकता के मोहताज नहीं है बल्कि हम एक ही शरीर के अंश हैं जिसमें से कुछ भी कांटने छांटने पर हम अपंग की श्रेणी में आ जाएंगे अतः यह विमर्श का विषय ही नहीं है कि कौन हिन्दू है या नहीं..?
हम शुद्ध हिन्दू हैं ।
कोई लाख प्रयत्न करें कि ये मेरी माँ नहीं, ये मेरे पिता नहीं हैं तो ऐसा सिर्फ वो जिद में कह सकता है पर सच तो कभी भी नहीं बदलता।
हमारे शरीर में स्थित हर एक रक्त की बूंद इस बात के लिए प्रतिबद्ध है कि हम समग्रता के हिंदुत्व का पालन करें और उसकी रक्षा करें । बाकी आसुरी शक्तियां तो एक ही घर के एक ही कुल वंश में भी जन्म ले लेती हैं। उसका क्या कर सकते हैं…!!

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