Home विषयजाति धर्म आदिपुरुष_पर_आपत्तियां_व_मेरा_दृष्टिकोण
1)राम जी की मूँछें:- अच्छा तो नहीं लगता लेकिन या तो क्लीन शेव दिखाते या दाढ़ीमूँछ दोंनों जो अरण्यवासी होने का प्रतीक होती।
2)सीताजी के वस्त्र:- उस युग में कोई ब्लाउज नहीं थे अतः उत्तरासँग ओढ़े या कंचुकी पहने दिखाना इतिहास सम्मत है। महाभारत में भी यही वस्त्र द्रौपदी, रुक्मिणी आदि के दिखाए गए।
लेकिन सीताजी को लहराती रेशमी साड़ी में ग्लैमराइज दिखाना उचित नहीं।
3)राम सीता के बीच प्रेम दृश्य:- गरिमामय तरीके से दिखाने में कोई आपत्ति नहीं जैसे कि एनीमेटेड रामायण में ‘पंचवटी अति पावन’ गीत पर दिखाया गया था।
4)रावण के लिए सैफ का चयन:- यह विरोध मूर्खतापूर्ण था।
5)केशविन्यास व टैटू:- निर्देशक का मूर्खतापूर्ण कार्य क्योंकि प्राचीन भारत में राजा या योद्धा के केश कट जाना भयंकर अपमानजनक होता था।
6)लंका डार्क शेड में:- निर्देशक की मंशा उसे पाप के प्रतीक के रूप में दिखाने की थी। मुझे कुछ आपत्तिजनक नहीं लगता।
7)रावण का सांपों से प्रेम:- प्राचीन विश्व में राजाओं को सांप पालने का खासा शौक होता था।
8)सीता अपहरण का दृश्य:- निर्देशक की अतिकल्पनाशीलता। राम को बेबस दिखाना विरोधाभास है क्योंकि रावण इतना शक्तिशाली होता तो चोरों की तरह नहीं आता।
9)हनुमान जी की मूँछ विहीन दाढ़ी:- इसका विरोध मूर्खतापूर्ण है। हड़प्पा सभ्यता की मूर्तियों से लेकर सागर जी की रामायण में सुग्रीव के रूप में मूँछ विहीन दाढ़ी कॉमन रही है।
10)ब्रह्माजी को एकमुखी दिखाना:- यह अच्छा है ताकि पौराणिक मिथकों के तार्किक मानकीकरण की शुरूआत हो।
11)रावण की सवारी:- पूर्ण गलत तथ्य क्योंकि रावण ने पुष्पक विमान का प्रयोग नहीं किया। वाल्मीकि रामायण देखें।
12)डायलॉग्स:– फ़िल्म का सबसे कमजोर हिस्सा। अगर मुन्तशिर ने सड़कछाप डायलॉग्स न लिखे होते तो अन्य बातें अवॉयड की जा सकती थीं।
अब रही बात मूवी बैन करने की तो इससे बड़ा मूर्खतापूर्ण कृत्य दूसरा होगा ही नहीं।

Related Articles

Leave a Comment