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जाने-जान ! इत्तफाक कहेंगे

by ओम लवानिया
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यक़ीनन बहुतेरी फ्रेम्स दृश्यम में ले जाती है, कमोबेश वही सस्पेंस, थ्रिल और ट्रीटमेंट, परंतु क्लाइमैक्स आता है और कहता है कि टीचर है न सबकुछ संभाल लेंगे। कहानी को मैथ्स की तरफ़ मोड़ लेकर ले जाता है

सुजॉय घोष ने नेटफ्लिक्स के लिए जापानी उपन्यासकार कीगो हिगाशिनो के उपन्यास ‘द डिवोशन ऑफ सस्पेक्ट एक्स’ को स्क्रीन प्ले में परिवर्तित किया है।
स्क्रीन प्ले माया डिसूजा उर्फ़ सोनिया, तारा और नरेन यानी टीचर को लेकर निकलता है कि रास्ते में अजित मात्रे ट्विस्ट आता और फिर करण पीछे पड़ जाता है। इस पूरी गुत्थी से सिर्फ़ और सिर्फ़ सस्पेंस व थ्रिल बाहर आता है।
इत्तफाक कहेंगे, जीतू जोसेफ़ की दृश्यम को जापानी में भी अडॉप्ट किया गया था जबकि उनके यहाँ कीगो हिगाशिनो का नॉवेल पड़ा था। कोई पढा नहीं, हो सकता है जीतू ने पढ़ लिया हो। ख़ैर
निःसन्देह, फ़िल्म जो है न, जयदीप अहलावत मने टीचर की है। गणितज्ञ नरेन को जिस अंदाज में बॉडी स्पेस दिया है और हाव-भाव रखें। माइंड ब्लोइंग है, ऐसे किरदार लिखे जाते है। लेखक चाहे तो बॉब बिस्वास की तरह टीचर को भी स्वतंत्र प्रभार देकर विस्तार लिख सकते है। सूत्रधार के नजरिये से कहानी में जो भी फॉर्मूले लगाते है, स्क्रीन प्ले इंटरेस्टिंग बनता है। एकतरफा प्यार, हकीकत मालूम होने के बाद ट्रांसफॉर्मेशन गज़ब है। कलाकार जो रहता है उसे उसकी रेंज में किरदार दे दो, फिर क्या तब तक चेन से नहीं बैठते है जब तक अपनी बॉडी का अग्रीमेंट उसके नाम न लिखवा दें, हालांकि 11 महीने का ही अग्रीमेंट करते है क्योंकि आगे नए किराएदार अर्थात किरदार लाइन में खड़े होते है।
करीना कपूर, माया डिसूजा के साथ ठीक लगी, कहने को कहानी की लीड है लेकिन टीचर के सामने स्टूडेंट ही लगी, कोई ऐसी फ्रेम न आई। जो उन्हें टीचर के समक्ष रख सके। बॉडी लैंग्वेज और एक्सप्रेशन बढ़िया है खासकर शुरुआती माहौल में, आगे तो सामान्य रहते है। इतना टेंशन भी जनरेट कर पाती है। पहले 20 मिनट सोलो नजर आती है। परंतु हैप्पी बड्डे पर फ़िल्म रिलीज मिली है। भले ओटीटी रिलीज ही सही…
विजय वर्मा, कॉप करण के साथ काफी स्मार्ट दिखे है, टीचर से जुगलबंदी करने की अच्छी कोशिश रहती है लेकिन टीचर कहते है कि जरूरी नहीं हम जो देख रहे सच हो…
सुजॉय घोष की फिल्में बोरिंग कतई न होती है, होम टाउन पश्चिम बंगाल के कोलिपोंग में प्लॉट नॉवेल दिलचस्प है, नेटफ्लिक्स पर स्ट्रीमिंग हुई है। डेटा ऑन करके लुत्फ लिया जा सकता है। ट्रीटमेंट को इससे बेहतर व ज्यादा कसावट भरा किया जा सकता था। क्योंकि इसकी तुलना दृश्यम से अवश्य होगी, जबकि क्लाइमैक्स डाइवर्ट ले जाता है।

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