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हस्दे चेहरेया दा मतलब एह नइ हुंदा कि ओहना नू कोई तकलीफ नहि हुंदी,ओहदा मतलब एह हुंदा कि ओहना नू तकलीफां नाल डील करना औंदा है।”
2009 में,भारत के सफल क्रिकेटर शिखर धवन की सगाई मेलबोर्न स्थित एक शौकिया किकबॉक्सर आयशा मुखर्जी से हो गई,जिन्होंने बाद में 2012 में शादी कर ली।आयशा को धवन से “हरभजन सिंह” ने मिलवाया था।
वह शिखर धवन से 12 साल बड़ी हैं,और अपनी पिछली शादी से दो बेटियों की मां थीं।
शिखर ने इन दोनों बेटियों को अपनाया..
उन्हें गोद लिया और
एक पिता का पूरा प्यार दिया..
दिसंबर 2014 में,
आयशा ने शिखर से ज़ोरावर नाम के एक बेटे को जन्म दिया।जुलाई 2019 में,धवन ने मेलबर्न के बाहरी दक्षिण-पूर्व में एक घर लिया,उससे पूर्व शिखर धवन 2015 से अपने परिवार के साथ क्लाइड नॉर्थ स्थित घर में रहते थे।
कल अदालत ने शिखर को पत्नी द्वारा क्रूरता के आधार
पर तलाक दे दिया।
अदालत ने कहा:
पत्नी शादी के समय उसके साथ भारत में रहने के लिए सहमत हो गई थी, लेकिन बाद में अपने पूर्व पति और ऑस्ट्रेलिया में उनकी दो बेटियों के प्रति प्रतिबद्धता के कारण उसने इनकार कर दिया। वह अपने बेटे को अपने साथ ले गईं, जिससे धवन को भारत में अकेले रहना पड़ा।
उन्होंने धवन की तीन ऑस्ट्रेलियाई संपत्तियों में से 99% के स्वामित्व की मांग की और साथ ही दो अन्य के संयुक्त स्वामित्व की मांग की,
जो सभी उन्होंने अपने पैसे से खरीदे थे।
उसने जानबूझकर धवन के बारे में बीसीसीआई के विभिन्न अधिकारियों, आईपीएल टीम के मालिकों और उनके साथी क्रिकेटरों को अपमानजनक संदेश भेजे ताकि धवन पर दबाव डाला जा सके और उन्हें अपमानित किया जा सके, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि उन्हें अपना मासिक रखरखाव समय पर मिले।
कोर्ट ने अपने बीमार पिता को कोविड ​​​​-19 संक्रमण के दौरान अस्पताल ले जाने के लिए धवन के साथ आयशा के विवाद को भी स्वीकार किया।
2020 में,आयशा और उनका बेटा लंबे समय तक रहने के लिए भारत आए, जबकि उनकी बेटियां ऑस्ट्रेलिया में रहीं। उसने धवन को अपनी पिछली शादी से हुई बेटियों को मासिक तौर पर 15,500 एयू भेजने के लिए मजबूर किया।
शिखर जीत गया..पर वो बहुत कुछ हार भी गया..
इस प्रकार की मानसिक प्रताड़ना के साथ एक डेढ़ अरब की आबादी के देश के सपनों को साकार करने का प्रेशर भी था इस खिलाड़ी पर,उसे टीम से बाहर भी रहना पड़ा इस बीच,
किसी ने ये नहीं जानना चाहा कि उसकी परफॉर्मेंस क्यों खराब हुई,लोग इच्छुक नहीं होते हैं,खासकर जब बात खेल की हो,और भारत में वो खेल जब क्रिकेट हो,जिसे और खेलों से हमेशा ज्यादा महत्व दिया जाता रहा है,मीडिया के कारण भी,सट्टेबाजी और बॉलीवुड तथा हवाला के कारण भी।एशिया कप में भारत ने कई मेडल जीते,कई खिलाड़ियों ने देश के लिए मेहनत और बलिदान करके जीत हासिल करी,उनकी कहानियां भी महत्वपूर्ण हैं,पर उन्हें वो गालियां भी नहीं खानी पड़ती जनता से जो क्रिकेट के खिलाड़ियों को खानी पड़ती हैं।
माना जाता है क्रिकेट में खिलाड़ी नहीं सेलेब्स होते हैं,पर हर कोई सेलेब नहीं होता,हर किसी को सेलेब होने के सिर्फ़ और सिर्फ़ फायदे नहीं होते..नुकसान भी होते हैं..
इन खिलाड़ियों में आपस में ग्रुप बाज़ी भी होने लगी है,कई खिलाड़ी नए उभरते हुए खिलाड़ियों को ऐसी विष्कन्याओं के जाल में फंसाते हैं,ताकि उनका परफोर्मेंस खराब हो,और उनको टीम से बाहर निकाला जाए,कई ऐसे खिलाड़ी भी हैं जिनके बॉलीवुड और पाकिस्तानी टीम और सट्टेबाजों से घनिष्ठ संबंध रहे हैं,इतने कि उनकी विदेश में रची शादी तक का पूरा खर्च पाकिस्तानी सट्टेबाजों ने वहन किया है,
और बदले में इन भारतीय खिलाड़ियों ने मैच हारे हैं..
जब ऐसे खिलाड़ियों के सामने कुछ नए खिलाड़ी या काबिल खिलाड़ी सर नहीं झुकाते,उनके कहने पर आउट या बाउंड्री नहीं लगाते,तो उनको एक तय तरीके से ट्रैप कर,बर्बाद किया जाता है और सबसे अच्छा तरीका है उन्हें वो देना जो उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा होता कि उन्हें मिलेगा..
वो होता है प्रेम..
पर स्क्रिप्टेड प्रेम..
एक मकड़जाल..
जिसमें एक खिलाड़ी के साथ खेल खेला जाता है..
वो अपने सोचने समझने की शक्ति,निर्णय लेने की शक्ति खो देता है,वो अपने शुभचिंतकों की बातें,उनके संकेत समझने से इंकार कर देता है और इस दल दल में धंसता जाता है..
उसे इससे बाहर निकालने का प्रयास करने वाला उनका सबसे बड़ा शत्रु हो जाता है,क्योंकि विषकन्या उन्हें ये कहती है,कि वो शुभचिंतक उसकी सफलता से कुंठित है,वो ईर्ष्या कर रहा है कि उसके पास इतनी खूबसूरत या काबिल पत्नी है,उसका कैरियर अच्छा है,उसके पास प्रसिद्धि है,इसलिए वो उसे भड़काने का प्रयास कर रहा है..
और खिलाड़ी मान जाता है..
और जो विरोधी टीम की हर चाल पहचान जाता था
जो गेंद की रफ़्तार का सही अनुमान लगा कर,बाउंड्री पार गेंद को पहुंचा देता था,जिसे मीडिया को हैंडल करना आता था,वो व्यक्ति एक कटपुतली बन कर रह जाता है..
और उसको इसका एहसास भी नहीं होता..
अभी वर्ल्ड कप शुरू हो रहा है,देश की एक बड़ी आबादी टीवी और मोबाइल स्क्रीन से जुड़ी रहेगी..कई खिलाड़ियों पर लोग दांव लगाएंगे,कई ऐसे हैं जो सच में देश के लिए खेल रहे हैं,और कई ऐसे जो सिर्फ़ और सिर्फ़ अपने लिए
और पैसे कमाने के लिए खेल रहे हैं..
क्रिकेट के दीवाने शायद ही कभी वो फ़र्क महसूस कर पाएं..
पर हम आप वो फ़र्क अब साफ़ देख पा रहे हैं,क्योंकि ये पैटर्न कोई नया नहीं है,ये पैटर्न हर फील्ड में है..
हर फील्ड में विष्कन्याओं और विषपुरषों को भेजा जाता है..
किसी को पैसा ऑफर किया जाता है,किसी को पॉवर
किसी को इन दोनों के साथ शौहरत..
किसी को ड्रग्स..
और किसी को प्रेम..
सुशांत सिंह राजपूत को लोगों ने भुला दिया है..
दिव्या भारती को भी..परवीन बॉबी और न जाने कितने इसी सब में फंस खत्म हो गए,कुछ को बस किवंदती मान लिया गया,एक अफवाह मान कर लोगों ने भुला दिया..
पर ये खेल अभी भी चल रहा है..
और खेलों में भी ये धीरे धीरे घुसेगा..
जो खिलाड़ी मीडिया में छाने लगेंगे,देश के लिए मेडल पर मेडल और ट्रॉफी पर ट्रॉफी लाने लगेंगे वो राष्ट्र के बाहर और भीतर के शत्रुओं के टारगेट पर आने लगेंगे..
और फिर एक ऐसा खेल खेला जाएगा जिसे आप स्वयं देखेंगे कि कैसे एक अच्छा खासा खिलाड़ी,अपना फोकस भूल कुछ और करने लग गया है,जिसके लिए उसने जीवन भर परिश्रम किया,खुद को तोड़ा,मरोड़ा,अपना घर परिवार छोड़ा,अब वो कुछ और करने पे अधिक फोकस करने लगा है,जो इस सब से बच जाएगा,वो आजीवन एक अच्छा खिलाड़ी रहेगा और राष्ट्र को जिताता रहेगा..
और जो खुद के लिए खेलेगा,उसे राष्ट्र की हार से कोई मतलब नहीं होगा,वो शत्रु देश के खिलाड़ियों संग,
गलबहियां करता पाया जाएगा..!
शिखर जीत गया..
पर हर भारतीय पुरुष शिखर नहीं होता..
भारत का कानून विष्कन्याओं के विरुद्ध नहीं,अपितु उनके समर्थन में कई बार खड़ा दिखाई देता है,हर भारतीय पुरुष शिखर की तरह मजबूत नहीं होता,अधिकतर मध्यमवर्गीय भी होता है,और वो केस नहीं लड़ पाता,वो समाज द्वारा बहिष्कार को झेल नहीं पाता,वो झूठे आरोप में जेल में बंद,
अपने बूढ़े माता पिता को छुड़ा नहीं पाता..
वो सालों साल लड़ता है पर वो न्याय के शिखर तक पहुंच नहीं पाता,और हार कर आत्महत्या कर लेता है..
और लोग उसे भी कायर घोषित कर,चर्चाएं करते रहते हैं..
और फिर चर्चाओं का नतीजा भी आ जाता है,जिसमें दोषी पुरुष ही होता है..और नहीं भी होता तो वो केस भुला दिया जाता है,और ये बार बार भूलना ही,नए खेल को जन्म लेने का अवसर देता है..
शिखर ने एक तलाकशुदा लड़की से विवाह किया था,जिसके दो बच्चे थे,वो उससे बड़ी भी थी..
पर जो आयशा ने किया क्या इसके बाद कोई शिखर किसी सच में पीड़ित आयशा से विवाह कर पाएगा?
विधवा विवाह और तलाक शुदा कई पीड़ित महिलाएं हैं जिनको सच में शिखर जैसा पति चाहिए..पर इसके बाद वो करने से भी कई युवा पीछे हटेंगे..
कई बच्चे शिखर जैसे पिता के प्रेम से वंचित रहेंगे..
किसी एक का खेल,
कितनों की जिंदगियां खराब कर देता है..
मित्रों ये आपका निर्णय है कि आप अपने जीवन में किसे सच्ची सफलता मानते हैं?आपके जीवन में आपके लिए सच्चा सुख और संतुष्टि क्या है?
ये उत्तर
आपके और आपके अपनों के भविष्य का निर्णय लेता है।
क्या आपके लिए बहुत अधिक पैसा कमाना सफलता और सुख है?आपके लिए प्रसिद्धि हासिल करना और उस प्रसिद्धि से पैसा और पॉवर हासिल करना सफलता और सुख है?या आप दूसरों के लिए कितना करते हैं वो सच्ची सफलता और सुख है?
अगर आपके पास ये सब कुछ भी है..
और एक आयशा या रिया जैसा जीवनसाथी है
तो सच मानिए आप सब कुछ खो देंगे,
खुद को भी..
आपके जीवन साथी का चुनाव..
आपके जीवन रूपी खेल को बना भी सकता है..
और बिगाड़ भी..
तो दूसरों की गलतियों से सीख लीजिए..
और किसी का खिलौना मत बनिए

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