आदरणीय राजशेखर तिवारी जी लिखते हैं कि शुरू हो गयी मूर्खता? .. जब संतों की निर्मम हत्या हुयी तो एंजेडा चला दिया गया और शंकराचार्यों की चर्बी देखी जाने लगी .. और अब उदयपुर के नाम पर क्षत्रियों को कोसा जाने लगा ?
क्यों भाई .. संविधान ने शंकराचार्यों के लिए क्या अधिकार दिया है ? भारत का संविधान शंकराचार्यों को कौन सी सुरक्षा या सुविधा देता है ? ओवेसी को z plus मिला हुआ है और शंकराचार्य रेलवे प्लेटफ़ार्म पर धक्के खाते हैं ।
और हाँ , वे सड़क पर उतरे थे गोवंश की रक्षा के लिए दिल्ली की सड़कों पर । भून दिए गए । और जो जीवित बचे वे तिहाड़ में सड़े , उनकी ज़मानत तक नहीं हुयी और देश “ झूठ बोले कौव्वा काटे “ पर थिरक रहा था ।
उड़ीसा में दारा सिंह ने क्षत्रिय धर्म का पालन किया .. कहाँ है वह आज ? शर्म नहीं आती क्षत्रियों को कोसने में ?
संविधान की चाटने वालों ! यदि आक्रोश दिखाना है तो उस कट पेस्टिए पर दिखाओ जिसने सनातन धर्म को पंगु कर दिया है । यदि आक्रोश दिखाना है तो उन पर दिखाओ जो सत्ता सुख भोग रहे चाहे 2014 के पहले वाले या 2014 के बाद वाले ।
मैं कर्णी सेना या परशुराम सेना का समर्थन विरोध नहीं कर रहा क्योंकि मैं जानता हूँ वे भी उच्च स्तर पर सत्ता के टूलकिट ही हैं । हाँ उनके सदस्य व्यक्तिगत रूप से देशभक्त हो सकते हैं अतः उन्हें कोसने का कोई औचित्य नहीं है ।
हमें अपनी पूरी ऊर्जा आपस में कुकुरहाँव के स्थान पर उनके प्रचंड बहिष्कार में लगानी है ।